Mulayam-Sadhna-Akhilesh

कोई अखिलेश को ‘सौतेला’ न कहे!

यूपी की चुनाव-प्रक्रिया शुरू होने से लेकर अबतक चैनलों के प्राइम टाइम और अखबारों की सुर्खियों में जिस मामले को सबसे अधिक जगह मिली वो है समाजवादी पार्टी में चल रहा परिवार का ‘दंगल’। कभी शिवपाल-अखिलेश की तनातनी, कभी मुलायम-अखिलेश का मतभेद, कभी इन सबमें ‘चाणक्य’ रामगोपाल की भूमिका तो कभी सारी लड़ाई के मूल में मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का हाथ बताया जाना – जैसे मीडिया को और कोई काम ही न रह गया हो। वैसे देखा जाय तो सपाइयों की इस अन्दुरूनी लड़ाई से अखिलेश को नुकसान कम और लाभ ज्यादा मिला। उन्हें न केवल पार्टी के भीतर और बाहर की सहानुभूति मिली बल्कि सारे घटनाक्रम से दिनोंदिन उनके कद में इजाफा भी होता गया और अंतत: वो सपा के नए ‘सर्वेसर्वा’ के तौर पर सामने आए।

बहरहाल, आज की तारीख में यूपी चुनाव अपने परवान पर है। पहले दो दौर का चुनाव होते-होते और तीसरे दौर का मतदान आते-आते इस चुनाव में भाग्य आजमा रहे सत्तासीन यादव परिवार के सारे सदस्य ये अच्छी तरह समझ चुके थे कि उनकी चुनावी वैतरणी के लिए अखिलेश की पतवार किस कदर जरूरी है। तभी तो तीसरे दौर के मतदान में सारे लोगों की ‘भाषा’ से लेकर संबंधों की ‘परिभाषा’ तक ‘फील गुड’ वाली थी।

गौरतलब है कि तीसरे दौर की वोटिंग के दौरान रविवार को यादव परिवार ने अपने गढ़ सैफई में पूरी एकजुटता दिखाने की कोशिश की। वोट डालने आए पार्टी के संस्थापक और अब मार्गदर्शक की भूमिका में आ चुके मुलायम ने अपनी सारी ‘नाराजगी’ ताक पर रखते हुए बकायदा राज्य में सपा की सरकार बनने का दावा किया और खुलकर कहा कि अखिलेश यादव राज्य के सीएम होंगे। हां, अपने भ्रातृप्रेम को भी वे नहीं भूले और साथ में ये भी जोड़ दिया कि शिवपाल यादव मंत्री होंगे। मुलायम के साथ उनकी दूसरी पत्नी साधना गुप्ता (अब यादव) और छोटी बहू अपर्णा यादव भी थीं। अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव इससे पहले अलग-अलग वोट डाल चुके थे।

मजे की बात देखिए कि अखिलेश जहाँ तमाम अटकलों के बावजूद चाचा शिवपाल के लिए अपना वोट डालने आए, वहीं शिवपाल ने भी पार्टी और परिवार में किसी प्रकार की कलह से इनकार करते हुए जोर देकर राज्य में सपा की सरकार बनने की बात कही। रामगोपाल ने तो खैर 300 सीटों का दावा किया ही। साथ में ये दोहराना भी नहीं भूले कि परिवार में कोई अंदरूनी कलह नहीं है।

सबसे दिलचस्प वाकया मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव का रहा। मुलायम के साथ आईं साधना ने न केवल परिवार में कलह की ख़बरों का खंडन किया बल्कि चार कदम आगे जाकर अखिलेश और प्रतीक को अपनी ‘दो आँखें’ बताईं। उन्होंने कहा – “कोई अखिलेश को सौतेला बोलता है तो मुझे बुरा लगता है। हमलोगों में कोई सौतेलापन नहीं है। हमने अखिलेश की शादी कराई, उसके बच्चे हैं, हमारी बहू है। अखिलेश हमारा बड़ा बेटा है।” वहीं चुनाव लड़ रहीं मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी राज्य में पार्टी की जीत का दावा किया और कहा – “कलह की बात लोगों को कहने दीजिए। हम राज्य में सरकार बनाने जा रहे हैं। माहौल शानदार है।”

काश कि सबके ऐसे ही बोल चुनाव से पहले भी होते! तब शायद सत्ता के आईने में संवेदना और संबंध नंगे नहीं होते और एक परिवार अपवाद के तौर पर सामने आ पाता!

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप 

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