इसरो ने इतिहास रच दिया। आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से एक ही रॉकेट से अंतरिक्ष में 104 सैटेलाइट छोड़कर अमेरिका और रूस को कोसों पीछे छोड़ दिया इसरो ने। अभी तक एक साथ सबसे ज्यादा 37 सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड रूस के नाम था। अमेरिका ने एक साथ 29 सैटेलाइट ही लॉन्च किया है और इस तरह वो तीसरे नंबर पर है।
बता दें कि पीएसएलवी-सी-37 कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट मिशन को श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। पहले 714 किलोग्राम वजन वाले कॉर्टोसैट -2 सीरीज के सैटेलाइट को पृथ्वी पर निगरानी के लिए प्रक्षेपित किया गया। इसके बाद 103 नैनो सैटेलाइट को पृथ्वी से करीब 520 किलोमीटर दूर पोलर सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में एक-एक कर प्रविष्ट कराया गया। सभी सैटेलाइट 28 मिनट बाद 9 बजकर 56 मिनट पर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हो गए। गौरतलब है कि इन सभी सैटेलाइट को जिस पीएसएलवी-सी-37 रॉकेट से छोड़ा गया, उस रॉकेट का यह 39वां मिशन था।
मंगलयान की कामयाबी के बाद हमारी विश्वसनीयता और स्वीकार्यता किस कदर बढ़ गई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसरो की कमर्शियल इकाई ‘अंतरिक्ष’ को लगातार विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करने के ऑर्डर मिल रहे हैं। याद दिला दें कि इसरो ने पिछले साल भी जून में एक साथ 20 सैटेलाइट लॉन्च किया था। इन 20 सैटेलाइट समेत इससे पहले 50 विदेशी सैटेलाइट इसरो लॉन्च कर चुका था। इस बार भी जो नैनो सैटेलाइट छोड़े गए हैं उनमें से 101 विदेशी हैं। इसरो के मुताबिक जिन देशों ने अपने सैटेलाइट को इसरो की मदद से अंतरिक्ष में भेजा है उनमें इजरायल, कजाखिस्तान, यूएई के साथ नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं।
बहरहाल, इसरो की बेमिसाल कामयाबी से पूरा देश गौरवान्वित है। स्पेस तकनीक के मामले में यह लगातार नए कीर्तिमान बना रहा है। खास तौर पर कम कीमत पर लॉन्चिंग को लेकर इसने दुनिया भर की स्पेस एजेंसियों को पीछे छोड़ दिया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत तमाम बड़ी हस्तियों ने इसरो को उसकी उपलब्धि के लिए बधाई दी है। अमिताभ बच्चन के उद्गार थे – “भारतीय होने पर गर्व है।” जाहिर है आज हर भारतीय यही कहना चाहेगा।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप