केन्द्र सरकार ने साधु और संन्यासियों को एक बड़ी राहत दी है। अपनी जड़ों से वंचित ये लोग पासपोर्ट की अर्जी दाखिल करते समय फॉर्म में अपने माता-पिता के नाम की जगह अपने धार्मिक गुरु का नाम लिख सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को पासपोर्ट संबंधी नए नियमों की घोषणा की जिसमें इन लोगों को यह राहत दी गई।
मंत्रालय ने यह घोषणा करते हुए कहा है कि संत और संन्यासी अपने माता-पिता की जगह अपने गुरु का नाम लिखकर पासपोर्ट की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें एक सार्वजनिक दस्तावेज दिखाना होगा। इन दस्तावेजों में मतदाता परिचय पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि शामिल हैं, जिनमें उनमें गुरु का नाम उनके माता-पिता वाली जगह पर हो।
मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए नियम नई जीवन-शैली और पारिवारिक मान्यताओं को दर्शाने वाले हैं। उदाहरण के तौर पर मंत्रालय ने अर्जी देने वाले को माता-पिता में से किसी एक का नाम देने की भी इजाजत दे दी है। अभी तक माता-पिता दोनों का नाम दिया जाना अनिवार्य था।
नए नियमों की घोषणा करते हुए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि साधु-संतों को लेकर दो मुद्दे थे। पहला सवाल उनके माता-पिता का था और दूसरा जन्मतिथि प्रमाण-पत्र का, जिसे उन्हें वैसे भी नए दस्तावेजों के तहत जमा करना होगा। मुख्य पासपोर्ट अधिकारी अरुण चटर्जी ने कहा कि यह इन लोगों की लंबे समय से लंबित मांग थी जिसे अब मंत्रालय ने मंजूर कर लिया है।