18 मार्च 1916 को मधेपुरा जिले के मनहरा गाँव में शिक्षानुरागी कीर्ति नारायण मंडल का जन्म पिता ठाकुर प्रसाद मंडल एवं माता पार्वती देवी के घर होता है | कीर्ति बाबू में लोग कभी कबीर और नानक का स्वरुप देखते तो कभी विश्वकर्मा का रूप | यूँ उन्हें विश्वकर्मा कहना ही ज्यादा लोग पसंद करते क्योंकि जहाँ-जहाँ उनके कदम पड़े , वहीँ एक महाविद्यालय बनकर तैयार खड़ा हो गया |
1953 में सर्वप्रथम उन्होंने 50 बीघे जमीन और 25 हजार रूपये दान देकर मधेपुरा में टी.पी.कॉलेज की स्थापना कर पिताश्री को अमरत्व प्रदान किया | वहीँ शहर के मध्य में ही करोड़ों की संपत्ति दान देकर माताश्री के नाम पार्वती विज्ञान महाविद्यालय बनाकर मातृशक्ति को भव्य स्वरुप प्रदान किया |
कोसी एवं पूर्णिया प्रमंडल के सात जिलों में तीन दर्ज़न कालेजों की स्थापना कर दधिची की तरह अपना सबकुछ उन्होंने लगा दिया | उनकी स्मृति को तारोताजा बनाये रखने के लिए ये चार पंक्तियाँ- श्रधांजलि स्वरुप:-
धन आदमी की नींद हरपल हराम करता ,
जो बाँटतादिल खोल उसे युग सलाम करता !
मरने के बाद मसीहा बनता वही मधेपुरी ,
जो ज़िन्दगी में अपना सबकुछ नीलाम करता है !!
(प्रस्तुति :- डॉ मधेपुरी)