8 नवम्बर 2016 से देश में 500 और 1000 के नोट पर जैसे ही मोदी सरकार द्वारा नोट ऑफ इंट्रोगेशन (?) लगायी गई, वैसे ही अखबार नबीसों द्वारा बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों, व्यापारियों एवं शिक्षाशास्त्रियों की गोष्ठियां बुलाई जाने लगी- जिसमें लोगों द्वारा भोगी जा रही परेशानियों के बावजूद नोटबंदी के कारण “कालेधन” पर चोट और देश को मिलने वाली आर्थिक आजादी की चर्चाएं शुरु हो गई |
चन्द नेताओं को छोड़कर भारत के सवा सौ करोड़ लोग देश को आगे ले जाने के लिए परेशानियों की गठरियाँ माथे पर लिए और नोटबंदी की सराहना करते हुए एक दूसरे के पीछे सड़कों पर लाइन में खड़े दिखाई देने लगे |
यह भी बता दें कि 5 हफ्ते बीत जाने के बाद भी यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा | तभी तो स्थानीय पार्वती सायंस कॉलेज में- “नोटबंदी एक आर्थिक क्रान्ति” विषय पर नवगठित “उड़ान फाउंडेशन” के बैनर तले रविवार को एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन अध्यक्ष डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, पी.एस. कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य सह संयोजक डॉ.रामचन्द्र प्रसाद मंडल एवं मुख्य अतिथि मंडल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो.प्रज्ञा प्रसाद ने सम्मिलितरुप से किया |
इस अवसर पर परिचर्चा में भाग लेते हुए सभी शिक्षाविदों ने नोटबंदी के पक्ष में अपना विचार व्यक्त किया | जहां प्रखर वक्ता डॉ.रामचन्द्र प्रसाद मंडल सहित प्रो.प्रज्ञा प्रसाद, वेदव्यास कॉलेज के प्राचार्य डॉ.आलोक कुमार, चर्चित समाजशास्त्री डॉ.आलोक कुमार, पूर्व प्राचार्य सोनेलाल कामत आदि ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय आतंकवाद एवं नक्सलवाद सरीखे अन्य चरमपंथी मानवता विरोधी ताकतों को कमजोर करनेवाला है वहीँ प्रखर साहित्यकार डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप, प्रो.मणि भूषण वर्मा एवं दशरथ प्रसाद सिंह सहित डा.मधुसूदन यादव, प्रो.ऋषिदेव अद्री, राहुल यादव, मो.राही आदि ने नोटबंदी को कालेधन पर अंकुश बताया |
यह भी जानिये कि ग्रामीण परिवेश से आये बड़गांव के चाणक्य मिश्र ने तो नायाब विचार व्यक्त करते हुए यही कहा कि दवाई की तरह यदि नोट पर भी एक्सपाइरी डेट (10 वर्ष का) अंकित कर दिया जाय तो नोट सदा गतिशील रहेगा बल्कि पूर्व जैसा ठहरा हुआ कालाधन बनकर कभी मुंह काला नहीं होने देगा |
अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन के आरम्भ में जहां डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने “उड़ान फाउंडेशन” के लिए यही कहा कि तेरी उड़ान में कभी विराम ना हो वहीँ नोटबंदी के बाबत डॉ.मधेपुरी ने कहा- जहां नोटबंदी नमो की राष्ट्रीय क्रांति है वहीँ शराबबंदी नीतीश की समाजिक क्रान्ति |
मौके पर उपेन्द्र रजक, मो.राही, एस.एस.भारती, गणेश कुमार, आनंद कुमार, प्रो.विश्वमोहन प्रसाद, नंदन कुमार आदि की उपस्थिति देर तक बनी रही | अंत में रुद्र नारायण यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ विचार गोष्ठी के समापन की घोषणा कर दी गई |