Vividh Vimarsh on Kavi Jayshankar Prasad at Department of Hindi , BN Mandal University Madhepura

महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में विविध विमर्श

बी.एन.मंडल वि.वि. हिन्दी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्र नारायण यादव की अध्यक्षता में बहुमुखी प्रतिभा के धनी, मानवता के प्रतिष्ठापक कवि एवं हिन्दी काव्य में छायावाद के संस्थापक महाकवि “जयशंकर प्रसाद के काव्य में विविध विमर्श” पर एक भव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बी.आर.अंबेडकर वि.वि. में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ.नन्द किशोर नंदन ने महाकवि प्रसाद के कला पक्ष एवं भाव पक्ष पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि श्रीप्रसाद मानवता की प्रतिष्ठा तो करते ही हैं साथ ही आधुनिक संदर्भों में मिथकों का प्रयोग भी करते हैं |

यह भी बता दें कि टी.एम. वि.वि. भागलपुर में पी.जी. हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे डॉ.एन.पी.वर्मा ने जयशंकर प्रसाद को जहाँ हिन्दी कविता में संस्कृति को स्वर देने वाले अन्यतम कवि कहा है वहीं मगध वि.वि. के डॉ.सुनील कुमार ने प्रसादजी को मूल्य एवं संस्कृति का प्रस्तोता माना है |

यूँ आरम्भ में मंडल वि.वि. के हिन्दी के वरीय प्राध्यापक एवं सिद्धहस्त गजलगो डॉ.सिद्धेश्वर काश्यप ने जहाँ विस्तार से विषय-प्रवर्तन करते हुए यही कहा कि भावना प्रधान कहानी लेखक व महाकवि जयशंकर प्रसाद अपने समय की राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतिष्ठापक कवि हैं वहीं विभागाध्यक्ष रह चुके डॉ.विनय कुमार चौधरी ने प्रसादजी को कविता, कहानी, नाटक, उपन्यासकार के साथ-साथ मनोविज्ञान के ज्ञाता कवि ही नहीं बल्कि मानव मनोवृत्तियों के चितेरा कवि माना है |

अंत में विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्र नारायण यादव ने अपने संक्षिप्त अध्यक्षीय भाषण में यही कहा कि महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत एवं कथा साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं और वे एक मानववादी कवि हैं | इस मौके पर डॉ.रेणुका मल्लिक, डॉ.मनोज विद्यासागर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये |

सुधी श्रोता के रूप में प्रमुख रहे डॉ.एस.बी.प्रसाद, डॉ.के.डी.राय, डॉ.एस.एन.विश्वास, डॉ.मनोरंजन प्रसाद, प्रो.गोपाल कुमार झा, प्रो.योगेन्द्र, विकास, कृष्ण मुरारी, डॉ.राणा, राजकिशोर, सुनील आदि | धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण मुरारी ने किया |

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