लगभग 3000 वर्ष पूर्व ‘चामर ग्राहिणी यक्षिणी’ की लाजवाब ओपदार चमकवाली मौर्यकालीन ‘चुनार पत्थर’ से बनी इस मूर्ति की खूबसूरती दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी है | कहा जाता है कि इसके सामने पिकासो की पेंटिंग भी फीकी है |
यहाँ यह भी बता दें कि जहाँ पटना संग्रहालय की इस उत्कृष्ट ऐतिहासिक ‘चामर ग्राहिणी यक्षिणी’ की मूर्ति को देखकर बिहार की नीतीश सरकार ने इस मूर्ति के पटना के दीदारगंज से 18 अक्टूबर 1917 को प्राप्त होने के सौवें वर्ष को राज्य के सभी जिलों में 18 अक्टूबर 2016 को एक दिवसीय ‘बिहार कला दिवस’ के रुप में मनाये जाने का निर्देश दिया है, वहीं मधेपुरा जिला में इसके लिए यहां के डायनेमिक डी.एम. मो.सोहैल (भा.प्र.से.) ने द्विदिवसीय आयोजन की घोषणा की है और चाक्षुष एवं प्रदर्श कला की सफलता के लिए डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति भी गठित कर दी जिसमें डॉ.ए.के. मंडल, रेखा यादव, प्रदीप कुमार झा, मो.शौकत अली, तुरबसु एवं उद्घोषक अरुण कुमार सदस्य हैं |

यह भी जानिये कि समिति द्वारा जिले के तेरहो प्रखंडों एवं दूर-दराज के गांवों की वैसी प्रतिभाओं की खोज की गई है जिन्हें कभी इतना बड़ा मंच नसीब नहीं हुआ था | दिनांक 14-15 अक्टूबर को सौ से ऊपर कलाकारों का विभिन्न विधाओं में निबंधन किया गया |
अक्टूबर 18 को 10:00 बजे पूर्वाहन में जिलाधिकारी मो.सोहैल, एसपी विकास कुमार, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ.मधेपुरी, डीडीसी मिथिलेश कुमार, एन.डी.सी. मुकेश कुमार, डी.पी.ओ.राखी कुमारी, जयकृष्ण यादव, डॉ.शान्ति यादव, डॉ.ए.के.मंडल, ध्यानी यादव, प्रदीप कुमार झा, मो.शौकत अली, तुरबसु, श्यामल कुमार सुमित्र, अरुण कुमार उद्घोषक व अन्य द्वारा सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर विधिवत “बिहार कला दिवस-2016” का उद्घाटन किया गया |
इस अवसर पर डीएम मो.सोहैल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी प्रतिभाओं को मंच देकर प्रोत्साहित करना ही इस समारोह का उद्देश्य है | संदेश के रूप में उन्होंने कहा कि कला-संस्कृति का संरक्षण कर हम सभी समाज को संकीर्णता से उबार सकते हैं | जहाँ अपने संबोधन में एसपी विकास कुमार ने कहा कि कला-संस्कृति से ही अन्यत्र हमारी पहचान बनती है वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों के अलावा शहर के कलाकारों को भी पूरा मौका दिया जा रहा है | अध्यक्ष डॉ.मधेपुरी द्वारा “बिहार कला दिवस-2016” के निमित्त तैयार किये गये “एक अत्यंत खूबसूरत लीफलेट” सभी दर्शकों एवं कलाकारों के बीच बांटा गया जिसमें ‘चामर ग्राहिणी यक्षिणी’ प्राप्त होने के रोचक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाया गया है तथा विकास का पर्याय बन चुके बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग एवं मधेपुरा जिला प्रशासन टीम को हृदय से साधुवाद दिया गया है | साथ ही डॉ.मधेपुरी ने डी.एम. मो.सोहैल द्वारा द्विदिवसीय आयोजन करने हेतु उनकी भावना व तत्परता की खूब सराहना की है |
बाद में बी.एन.मंडल स्टेडियम हॉल में आयोजित चाक्षुषकला का मुआयना डी.एम. मो.सोहैल की पूरी टीम एवं अध्यक्ष डॉ.मधेपुरी के सारे सहयोगियों ने किया | हॉल में लगभग 5 दर्जन चित्रकला, मूर्तिकला, मधुबनी पेंटिंग आदि के कलाकारों द्वारा तथा प्रो.अविनाश के “चित्रालय” के छात्र-छात्राओं द्वारा ‘चामर ग्राहिणी यक्षिणी’ सहित ढेर सारे मनमोहक कलाकारी का प्रदर्शन किया गया | नवाचार रंग मंडल के शहंशाह की पूरी टीम कलाकारी करते देखे गये | प्रायः कलाकार अपने चित्रों व पेंटिंग के साथ डी.एम. मो.सोहैल, डी.डी.सी.मिथिलेश कुमार एवं अध्यक्ष डॉ.मधेपुरी के साथ फोटोग्राफ एवं ऑटोग्राफ लेने में मशगुल दिखे |

दूसरे दिन 19 अक्टूबर को समारोह समापन के समय प्रत्येक विधा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एक प्रतिभा पुत्र अथवा पुत्री को जिला पदाधिकारी द्वारा प्रशस्ति प्रमाण-पत्र एवं मोमेंटो दिया जायगा |
निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में प्रो. रीता कुमारी, प्रो. अरुण कुमार ‘बच्चन’, प्रो. रविरंजन के साथ-साथ संगीत साधिका हेमा कुमारी, वन्दना कुमारी, चंद्रिका यादव एवं चिरामणि यादव, राम स्वरूप यादव आदि अन्त तक समारोह में अपनी उपस्थिति बनाये रखें |