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बिहार का गौरव राष्ट्रीय अंडर-19 शतरंज चैम्पियन

अररिया के 14 वर्षीय कुमार गौरव ने आंध्रप्रदेश में हुई 46वीं राष्ट्रीय अंडर-19 शतरंज प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम कर लिया। इस उपलब्धि के साथ गौरव विश्व जूनियर शतरंज में भारत का प्रतिनिधित्व करने के भी पात्र हो गए हैं। अब वह जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप, एशियन जूनियर चैम्पियनशिप और कॉमनवेल्थ चेस चैम्पियशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। बता दें कि गौरव बिहार के राष्ट्रीय जूनियर शतरंज विजेता बनने वाले तीसरे खिलाड़ी हैं। इससे पहले प्रमोद कुमार सिंह 1980 और 1981 में दो बार और मनीषी कृष्ण 1989 में बिहार के लिए यह खिताब जीत चुके हैं।

गौरतलब है कि बिहार के इस लाल ने 8 अक्टूबर को शुरू हुई अंडर-19 चेस चैम्पियनशिप का गोल्ड बिहार सहित अन्य राज्यों के 136 खिलाड़ियों को पीछे छोड़ कर जीता है जिनमें कई अन्तर्राष्ट्रीय मास्टर भी थे। यह पहला मौका नहीं है जब गौरव ने बिहार का मान बढ़ाया है। इसके पूर्व भी वह कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। पिछले वर्ष कॉमनवेल्थ चेस चैम्पियनशिप अंडर-18 में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया था। 2014 में वह दिल्ली में आयोजित पार्श्वनाथ इंटरनेशनल चेस फेस्टिवल के चैम्पियन बने जिसमें 41 देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया था, और 2013 में पार्श्वनाथ इंटरनेशनल ओपन चेस टूर्नामेंट में उन्होंने बांग्लादेश की चेस क्वीन व वुमेन इंटरनेशनल मास्टर (डब्ल्यूआईएम) खिताबधारी 65 वर्षीया रानी हमीद को हराकर तहलका मचा दिया था। कभी हार ना मानने वाला जज्बा गौरव की सबसे बड़ी ताकत रही है।
ये जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि बिहार के अररिया शहर के शिवपुरी निवासी व अधिवक्ता देवनंदन दिवाकर के पुत्र कुमार गौरव में तो शतरंज की विलक्षण प्रतिभा है ही, उनके छोटे भाई-बहन भी इस खेल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। गौरव के छोटे भाई सौरभ आनंद 2012 में राष्ट्रीय अंडर-9 शतरंज चैम्पियन रह चुके हैं और इस समय सीनियर बिहार चैम्पियन हैं, जबकि उनकी छोटी बहन गरिमा गौरव राष्ट्रीय स्कूल शतरंज की विजेता रह चुकी हैं।
कहने की जरूरत नहीं कि कुमार गौरव की उपलब्धि से आज पूरा बिहार गौरवान्वित है। उनकी सफलता बिहार शतरंज में नई जान फूंकेगी। शतरंज के इस नन्हे उस्ताद ने साबित कर दिया है कि वह विश्व चैम्पियनशिप जीतने की भी क्षमता रखता है। पर इस चमकते सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि प्रचंड प्रतिभा के धनी इस खिलाड़ी की राह में आर्थिक दिक्कतें बाधा बनती रही हैं। अगर उसे समुचित सुविधा मिले तो वह एक दिन शतरंज की सबसे ऊँची मीनार पर परचम लहराएगा, इसमें कोई दो राय नहीं।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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