15 अक्टूबर 2016 को महान वैज्ञानिक भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 86वीं जयंती समारोह बिल्कुल सादगी के साथ डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी के निवास ‘वृंदावन’ में स्थानीय तुलसी पब्लिक स्कूल के छात्रों, शिक्षकों एवं स्कूल के निदेशक श्यामल कुमार सुमित्र व प्राचार्य डॉ. हरिनंदन प्रसाद यादव एवं रंगकर्मी विकास-वरुण-विभीषण आदि की उपस्थिति में मनाई गई तथा बच्चे-बच्चियों, शिक्षकों एवं अखबारनवीसों के बीच मिठाईयां बांटी गईं। इस समारोह में रेणु-रोजी-शिवानी, प्रियंका-मनीषा-गजाला सहित अपर्णा-निगम-संध्या, स्वर्णा-कल्पना-अदिति परमार की उपस्थिति अंत तक बनी रही।
इस अवसर पर सभी गणमान्यों द्वारा डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि दी गई तथा पुष्पांजलि अर्पित की गई। डॉ. मधेपुरी ने अवरुद्ध कंठ से उन शब्दों को रखा जो अविस्मरणीय मुलाकात के क्षणों में महामहिम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम ने अपने सहयोगी-शिष्य डॉ. अरुण कुमार तिवारी की उपस्थिति में कहा था – “ये आँखें दुनिया को दुबारा नहीं देख पाएंगीं, अस्तु तुम्हारे अंदर जो बेहतरीन है वह दुनिया को देकर जाना, बच्चों को देकर जाना..!”
हाल ही में शिष्य अरुण कुमार तिवारी द्वारा लिखी गई जीवनी ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – एक जीवन’ की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से डॉ. मधेपुरी ने कहा – “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आज भी जीवित हैं और आगे भी बच्चों की कल्पनाओं में, युवाओं एवं वयस्कों के विचारों में, वैज्ञानिकों के आविष्कारों में… महान राष्ट्र-निर्माण के सपनों में सदैव जीवित रहेंगे।”
अंत में डॉ. मधेपुरी ने कहा – “विश्व की प्रगति, समृद्धि और शान्ति का सपना देखने वाला विश्वगुरु डॉ. कलाम कभी भी विश्व-क्षितिज से विलीन नहीं होगा और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए एक शाश्वत उपहार बना रहेगा।”