आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की चुप्पी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई थी। और तो और, ट्विटर और फेसबुक पर भी उनकी ओर से सन्नाटा-सा पसरा था। पर लालूजी आखिर लालूजी हैं। अपनी चुप्पी पर कयासों का बाज़ार गर्म होते देख उन्होंने सबको और खासकर भाजपा को अपने अंदाज में चुप कराने (या चर्चा को शहाबुद्दीन से हटाने) की खातिर खासा दिलचस्प ट्वीट किया है। अपने मसालेदार बयानों से ‘मंच को लूटने’ में माहिर लालूजी ने इस बार ऐसा बयान दे डाला कि पहली बार में कोई भी सकते में आ जाए और कुछ भी प्रतिक्रिया करते ना बने। जी हाँ, ट्वीट के माध्यम से दिए अपने बयान में उन्होंने आरएसएस के हाफ पैंट के फुल पैंट में तब्दील होने का श्रेय अपनी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को दिया है।
बीते मंगलवार को पोस्ट किए अपने ट्वीट में लालू ने लिखा है कि राबड़ी के एक बयान से ही आरएसएस का खाकी पैंट हाफ से फुल हो गया। लालू ने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि हमने आरएसएस को फुल पैंट पहनवा ही दिया। राबड़ी देवी ने सही कहा था कि इन्हें संस्कृति का ज्ञान नहीं, शर्म नहीं आती, बूढ़े-बूढ़े लोग हाफ पैंट में घूमते हैं। लालू की तीखी टिप्पणी यहीं नहीं रुकी। आगे उन्होंने कहा कि अभी तो हमने हाफ को फुल पैंट करवाया है, माइंड को भी फुल करवाएंगे, पैंट ही नहीं सोच भी बदलवाएंगे. हथियार भी डलवाएंगे, जहर नहीं फैलाने देंगे। इसी के साथ उन्होंने कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं जिनमें संघ के लोग अब फुल पैंट पहने दिख रहे हैं।
बता दें कि राबड़ी देवी ने इसी साल जनवरी में आरजेडी के एक कार्यक्रम में कहा था कि पब्लिक के सामने हाफ पैंट पहनने पर आरएसएस नेताओं को शर्म नहीं आती? उन्होंने कहा था – “बूढ़ा-बूढ़ा आदमी सब हाफ पैंट पहनता है… खराब भी नहीं लगता।” अब बाकी लोग जो कहें, लालूजी को राबडी देवी का बयान ‘तर्कपूर्ण’ और ‘आक्रामक’ लगता है और वे बेहिचक अपनी अर्द्धांगिनी को संघ की अब तक चली आ रही परम्परा को तोड़ने का श्रेय भी दे रहे हैं।
बहरहाल, लालूजी तो ट्वीट करके निकल लिए। अब ये भाजपा और संघ पर है कि इस पर चुप रहें, प्रतिक्रिया दें या फिर मौके पर मारे गए चौके को लेकर सिर धुनें। संघ ने चाहे जिस कारण 90 वर्ष पुराने पहनावे में बदलाव किया हो, इस पर राबड़ी की टिप्पणी पहले ही आ गई थी, इससे इनकार कैसे किया जाय? और लालूजी से आप चाहे जितने असहमत हों, उन्हें इसे राबड़ी के बयान का ‘आफ्टर इफेक्ट’ बताने से कैसे रोका जाय?
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप