दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की निगाहें दिल्ली के बाद पंजाब पर तो थीं ही, अब उनकी ‘ताक-झाँक’ गुजरात में भी शुरू हो गई है। जी हाँ, इन दिनों उनकी पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल से खूब निभ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इन धुर विरोधी नेताओं के बीच बढ़ती नजदीकियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केजरीवाल हार्दिक के उन ट्वीट्स को रिट्वीट कर रहे हैं, जिनमें मोदी सरकार की आलोचना की गई है। बता दें कि गुजरात में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और विरोधी अपने-अपने पक्ष में जमीन तैयार करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे।
राजनीति के गलियारों में पैठ रखने वाले सूत्र बता रहे हैं कि गुजरात में केजरीवाल-हार्दिक आने वाले चुनावों में हाथ मिला सकते हैं। गौरतलब है कि हार्दिक पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर ट्वीट किया था कि सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय सेना को जाता है, जबकि क्रेडिट मोदी ले रहे हैं। यह ट्वीट ‘आप’ और भाजपा के बीच सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर हो रही टीका-टिप्पणी के बाद सामने आया था। केजरीवाल ने इस ट्वीट को रिट्वीट किया। यही नहीं, केजरीवाल ने हार्दिक का वह ट्वीट भी रिट्वीट किया, जिसमें उन्होंने गुजरात में बेरोजगारी की समस्या पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
जिन्होंने हार्दिक पटेल का ट्वीट ना देखा हो उन्हें उत्सुकता होगी कि आखिर उन दोनों ट्वीट में था क्या? सर्जिकल स्ट्राइक के बाद किए गए ट्वीट में हार्दिक के शब्द थे – “गोली खाई सेना ने, शहीद हुवा सेना का जवान, जवाब में आतंकी को मार गिराया सेना के जवानों ने, तो फिर उसका लाभ भाजपा और मोदी क्यों ले रहे हैं?” इसी तरह गुजरात में बेरोजगारी को लेकर हार्दिक ने अपने ट्वीट में कहा था – “गुजरात में सात वायब्रंट समिट के बाद भी 35 लाख लोग बेरोजगार हैं, सात प्रतिशत उद्योग और 31 फीसद फैक्ट्रियां बंद हैं।”
अरविन्द केजरीवाल खासे पढ़े-लिखे आदमी हैं। उनके पास ना तो डाटा की कमी होगी, ना सवाल उठाने में वो किसी से पीछे हैं। फिर गुजरात पर बात करने के लिए हार्दिक पटेल की ढाल क्यों? गौरतलब है कि मीडिया के माध्यम से हार्दिक के लिए ‘पारखी’ केजरीवाल का प्रेम तभी से सामने आता रहा है जब से पाटीदार आन्दोलन चर्चा में आया। प्रत्युत्तर में हार्दिक भी केजरीवाल में ‘सम्भावना’ जताते रहे हैं।
जो भी हो, इसमें कोई संशय नहीं कि केजरीवाल की महत्वाकांक्षा अब गुजरात के लिए हिलोड़ें मार रही हैं। लेकिन यहाँ एक सवाल यह उठता है कि क्या उनके पास गुजरात तक ‘पांव पसारने को चादर’ है? अगर नहीं तो समय से पहले पाली जा रही महत्वाकांक्षा की अकाल मृत्यु तय है। वैसे 16 अक्टूबर को केजरीवाल गुजरात यात्रा पर जाने वाले हैं, और आगे जो भी हो, वहाँ जाकर वो क्या और कितना गुल खिलाते हैं, इस पर निगाह तो रहेगी ही।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप