जिला इप्टा द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 109वीं जयन्ती इप्टा मधेपुरा के संरक्षक व समाजसेवी डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी की अध्यक्षता में मनाई गई | सुभाष कंप्यूटर कोचिंग एवं अरविन्द रिजल्ट मेकर के छात्र-छात्राओं की अच्छी खासी उपस्थिति में डॉ.मधेपुरी ने शहीदे आजम भगत सिंह के साथ-साथ आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले खुदीराम बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव व राजगुरू सहित अशफाक उल्ला खां आदि की चर्चा करते हुए कहा कि ये लोग ना सिर्फ निडर व निर्भीक क्रांतिकारी थे बल्कि ये सभी अच्छे विचारक, समाज सुधारक व शायर-कवि भी थे | ये सभी अहर्निश यही गुनगुनाते रहते कि “देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है” या फिर यही कि ‘मेरा रंग दे बसंती चोला……!’ डॉ.मधेपुरी ने यह भी कहा कि ये सभी क्रांतिकारी लगभग 19 से 30 वर्षों के अंदर ही अपनी-अपनी शहादत दे दी और अंग्रेजी शासन की जड़ें हिला दी | 23 मार्च 1931 को हंसते हुए भगत सिंह – सुखदेव – राजगुरु ने फांसी के फंदे को चुम लिया और भारत के क्रांतिकारी युवजनों से कहा- “अब तुम्हारे हवाले वतन……..|”
यह भी बता दें कि इप्टा के लिए समर्पित कामरेड रमण जी, सुभाष चंद्रा एवं तुर्वसु उर्फ बंटी आदि ने भी विस्तार से उन क्रांतिदूतों के विचारों एवं जीवन शैली की चर्चाएं की और अपने-अपने संबोधन के जरिये युवा छात्र-छात्राओं से यही कहा कि भगत सिंह एवं साथी क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के लिए सबों को अपने-अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी होगी एवं निरंतर संघर्ष करना होगा | आरंभ में भगत सिंह की तस्वीर पर पुष्पांजलि एवं अंत में दुष्यंत के गीतों के साथ समारोह का समापन किया गया |