1924 से चली आ रही परम्परा टूट गई। अगले साल से रेलमंत्री संसद की सीढ़ियों पर ‘बजट’ का ब्रीफकेस उठाए फोटो खिंचाते नहीं दिखेंगे। 2017 से अलग पेश नहीं होगा रेल बजट। केन्द्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश एक बजट’ के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। कैबिनेट के इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ ही रेल बजट इतिहास बन गया। उसे अब आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा। हालांकि रेलवे की अपनी पहचान आगे भी बरकरार रहेगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और कहा कि अगले साल से रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा। रेलवे संबंधी सभी प्रस्ताव आम बजट में शामिल होंगे। जेटली ने कहा कि आज स्थिति अलग है, सिर्फ परम्परा के आधार पर अलग से रेल बजट पेश किए जाने की जरूरत नहीं है। अब एक बजट और एक विनियोग विधेयक होगा। इससे संसद का मूल्यवान समय बचेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से रेलवे की स्वायत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर साल रेलवे पर चर्चा हो।
इस फैसले के मद्देनज़र संसद का बजट सत्र अब 25 जनवरी से पहले बुलाया जा सकता है। फिलहाल फरवरी के अन्तिम सप्ताह में बजट सत्र शुरू होता है। इस प्रकार, अब बजट की तैयारियां अक्टूबर के प्रारंभ में ही शुरू हो जाएंगी। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अग्रिम अनुमान सात जनवरी को उपलब्ध होगा जो फिलहाल सात फरवरी को प्रस्तुत किया जाता है। अब तक बजट को संसद की मंजूरी मई के मध्य तक दो चरणों में मिलती थी और जून में मानसून दस्तक दे देता था, जिससे राज्य अधिकतर योजनाओं का क्रियान्वयन और खर्च अक्टूबर तक शुरू नहीं कर पाते थे। ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए छह महीने का ही समय बचता था। बजट को पहले पेश किए जाने का मतलब है कि पूरी प्रक्रिया 31 मार्च तक सम्पन्न हो जाएगी और व्यय के साथ-साथ कर प्रस्ताव नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही अमल में आ जाएगा। इससे बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा।
बहरहाल, केन्द्र सरकार ने अपने तई भले ही एक बड़ा कदम उठाया हो, पर बिहार के मुख्यमंत्री और अटल सरकार में रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार इस पर जमकर बरसे। स्वतंत्र रूप से रेल बजट पेश करने की परम्परा खत्म करने पर नीतीश ने कहा कि इससे स्पष्ट हो गया कि आमलोगों की रेलवे केन्द्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। इससे रेलवे की स्वायत्तता पर भी खतरा मंडराने लगा है।
कई बार रेल बजट पेश कर चुके नीतीश का मानना है कि इस फैसले से किसी भी रूप में रेलवे का भला नहीं होगा। रेलवे के सुचारू संचालन के लिए रेल बजट का अलग रहना जरूरी था। उन्होंने कहा कि रेल बजट आमलोगों की आकांक्षा और भावनाओं से सीधे जुड़ता है और सरकार को चाहिए कि इसे उसके पुराने स्वरूप में ही रहने दे।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप