सच से पुराना बैर है पाकिस्तान का। भारत के खिलाफ अपनी भोली जनता की भावनाएं भड़का कर ‘रोटी’ सेकना कोई उससे सीखे। हालांकि पाकिस्तान के लिए ये कोई नई बात नहीं, पर ताजा मामले में तो ‘मर्यादा’ की हर सीमा ही लांघ दी उसने। जी हाँ, पाकिस्तान की पंजाब असेंबली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। चौंक गए ना? अब जरा कारण भी जान लें। शायद आपको स्मरण हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वहाँ और पीओके के लोगों ने उनकी समस्या उठाने के लिए उनको धन्यवाद ज्ञापित किया है। बस यही बात पाकिस्तान को चुभ गई। वहाँ की पंजाब असेंबली को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उसने पाकिस्तान की संघीय सरकार से इस मामले को संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने की अपील की है।
गौरतलब है कि पंजाब प्रांत की असेंबली में वहाँ के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास भी हो गया। प्रस्ताव में कहा गया कि सदन बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान पर मोदी के बयानों की कड़ाई से निन्दा करता है। सदन ने कहा कि पाकिस्तान की संघीय सरकार को चाहिए कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र समेत दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाए। विश्व को यह बताने की जरूरत है कि मोदी सरकार पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के विधायक खुर्रम वाट्टू ने तो दो कदम आगे बढ़कर सदन से यहाँ तक कहा कि भारत से व्यापारिक संबंध तोड़ने के लिए संघीय सरकार से गुजारिश की जाए। वहीं पंजाब असेंबली में विपक्ष के नेता राशिद ने आरोप लगाया कि मोदी का बयान उनकी असहिष्णुता की नीति और दूसरे राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप को दर्शाता है।
यहाँ गौर करने की बात ये है कि भारत-विरोध के नाम पर पाकिस्तान की तमाम पार्टियां कुल मिलाकर एक ही राग अलापती हैं। राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह विफल हो चुके पाक के जिस्म पर ना जाने कितने ‘पैबंद’ लगे हैं, जिन्हें जनता की नज़रों में जाने से रोकने के लिए पाक का राजनीतिक और सैनिक नेतृत्व प्रारम्भ से बस भारत-विरोध का झंडा उठाता आया है। वैसे सच कहा जाय तो जहाँ ‘हाफिज सईद’ जैसों को पलकों पर रखा जाता हो वहाँ नरेन्द्र मोदी के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर हमें आश्चर्य होना ही नहीं चाहिए।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप