Dr. APJ Abdul Kalam

मुमकिन नहीं कलाम के ‘कद’ और ‘हद’ की कल्पना

महान वैज्ञानिक… बेमिसाल शिक्षक… मिसाईलमैन… पोखरण के नायक… भारतरत्न… भारतीय गणतंत्र के भूतपूर्व राष्ट्रपति… ईमानदारी से बतायें, क्या ये सारे विशेषण मिलकर भी एक कलाम को पूरा परिभाषित कर पाएंगे..? नहीं… बिल्कुल नहीं। सच तो यह है कि इनमें से कोई एक विशेषण भी किसी को गौरवान्वित करने के लिए काफी है, और जब ये सारे विशेषण मिलकर भी किसी एक व्यक्ति को परिभाषित ना कर पा रहे हों तो उसके ‘कद’ और उसकी ‘हद’ की कल्पना क्या की जा सकती है..?

“पृथ्वी को रहने लायक कैसे बनाया जाय” विषय पर बोलते-सोचते इस महामानव ने आज ही के दिन ये पृथ्वी छोड़ दी थी। उनके जाने से बना शून्य शायद ही भर पाए। बुद्ध, गांधी, मार्क्स, आईंस्टाईन और कलाम जैसे महामानव रोज-रोज नहीं आते। इन रत्नों को ईश्वर सहेज कर रखते हैं और बड़े मौके पर इन्हें धरती पर भेजते हैं। ऐसे लोग आते हैं और सदियों का अंधेरा दूर कर जाते हैं। बल्कि कहना तो ये चाहिए कि कलाम जैसे लोग रोशनी को भी रोशनी दिखा जाते हैं। आज जहाँ ‘मनुष्यता’ दिन-ब-दिन अपनी शर्मिन्दगी के बोझ तले दबती जा रही है वहाँ किसी ‘कलाम’ की ही बदौलत एक मनुष्य के रूप में हम सिर उठा पाते हैं।

कलाम आज बेशक सशरीर हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारी सोच, हमारे सपनों से उन्हें भला कौन दूर कर सकता है! हमारी आनेवाली पीढ़ियां जब अपना लक्ष्य तय करेंगी, तब कलाम ही टोक रहे होंगे कि “छोटा लक्ष्य एक अपराध है”… और जब-जब हम आँखें बन्द कर सपने देखेंगे, तब कलाम ही हमें बता रहे होंगे कि “सपने वो नहीं जो हम बंद आँखों से देखते हैं, सपने तो वो हैं जो हमें सोने नहीं देते”। फेल (FAIL) को फर्स्ट अटेम्प्ट इन लर्निंग, एंड (END) को एफर्ट नेवर डाइज और नो (NO) को नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी कहने का जीवन-दर्शन हमें कलाम से ही मिल सकता है और सफलता की गूढ़ पहेली कलाम ही इतनी आसानी से सुलझा सकते हैं कि “सफलता का रहस्य सही निर्णय है, सही निर्णय अनुभव से आता है और अनुभव गलत निर्णय से मिलता है।”

कलाम को किसी भी कोण से देख लें, देखने वाले का धन्य हो जाना तय है। गीता का कर्मयोग समझना हो तो कलाम के जीवन में एक बार झांक लेना काफी होगा। ‘स्थितप्रज्ञ’ होना क्या होता है इसे समझने के लिए कलाम से बेहतर उदाहरण हो नहीं सकता। सादगी और सहजता कितनी बड़ी पूंजी है गांधी के बाद किसी ने समझाया तो वो कलाम ही थे। जीवन का हर पल कैसे साधना का पर्याय हो सकता है इसकी गवाही तो उनके जीवन का आखिरी पल भी दे गया था।

कलाम जैसों के जीवन का हर पल संदेश है मानव-जाति के लिए। उन्होंने सिर्फ कहा नहीं कि “आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं, तो आपको पहले सूर्य की तरह ही जलना भी होगा“, बल्कि सूर्य की तरह जलकर, फिर चमककर दिखाया भी। जिस सत्य को कलाम ने जिया नहीं, उसे उन्होंने कहा नहीं। फिर भी पूरे जीवन में उन्होंने एक झूठ जरूर बोला और वो ये कि “किसी को हरा देना बेहद आसान है, लेकिन जीतना बेहद मुश्किल”। आप ही बताएं, जिस शख्स ने बिना किसी को हराए पूरी कायनात जीत ली हो, उसकी ये बात सच मानी भी जाए तो कैसे?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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