स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए बिहार सरकार की ओर से खुशखबरी है। निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाले उद्यमियों को राज्य सरकार प्रोत्साहित करेगी। मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद कक्ष में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्पेशिएलिटी, सुपर स्पेशिएलिटी, मल्टी स्पेशिएलिटी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पताल खोलने वाले उद्यमियों को बैंक से टर्म लोन मिलेगा। उन्होंने बताया कि उन पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए सरकारी सहायता लोन इंट्रेस्ट सब्सिडी के रूप में दी जाएगी। उनको राज्य सरकार की उद्योग प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत उद्योगों को मिलने वाली सुविधाएं भी दी जाएंगी। ऐसे अस्पतालों में निर्धारित सीमा क्षमता तक बीपीएल, गरीब एवं अन्य प्राथमिकता वाले मरीजों को रियायत दरों पर इलाज की सुविधा दी जाएगी।
राज्य सरकार की नई स्वास्थ्य निवेश नीति का मकसद राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तथा विश्वस्तरीय तकनीक और सर्वोत्तम आधारभूत संरचना के साथ स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। इसके तहत सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी इन्कलुडिंग रेनल ट्रांसप्लांटेशन, इंडोक्रीनोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, जीआई सर्जरी, लीवर ट्रांसप्लांटेशन, अंकोलॉजी (सर्जरी, केमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी) के साथ गाइनेकोलॉजी, नेत्र और आर्थोपेडिक को भी जोड़ा जाएगा। स्वास्थ्य सचिव आनंद किशोर ने बताया कि बियाडा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मरीजों के लिहाज से अन्य कठिनाइयों को देखते हुए वहां पर स्पेशलिटी, सुपर स्पेशलिटी, मल्टी स्पेशलिटी और मेडिकल कॉलेज की स्थापना नहीं की जाएगी। औद्योगिक क्षेत्र में अस्पताल खेालना वैसे भी नियमों के खिलाफ है।
उपरोक्त बैठक में स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह, वित्त मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, उद्योग मंत्री श्याम रजक, विकास आयुक्त एसके नेगी, प्रधान सचिव आपदा प्रबंधन ब्यासजी, प्रधान सचिव स्वास्थ्य ब्रजेश मेहरोत्रा आदि उपस्थित थे।