टी.वी. के विभिन्न चैनलों पर खासकर Zee News में सुधीर चौधरी के DNA (डेली न्यूज़ एनालिसिस) के तहत लातूर एवं दिल्ली सहित लगभग-लगभग देश-दुनिया के सर्वाधिक स्थानों पर जल के वास्ते जीवन की आहुति भी देने की आशंकाएं जताई जाती हैं- जबकि कहावत यही है कि जल ही जीवन है यानी जल है तो जीवन है |
फिलहाल दैनिक जागरण द्वारा चलाए जा रहे अभियान- “तलाश तालाबों की” की चर्चाएं शीर्ष पर है | जल संकट की समस्याओं से निजात पाने के लिए देश-प्रदेश के युवाओं द्वारा तालाबों के जीर्णोद्धार का संकल्प लिया गया है तथा तेजी से लिया भी जा रहा है |
तभी तो कहीं पर पोखर से जलकुंभी निकालते हुए युवजनों को देखा जा रहा है तो कहीं जागरूक ग्रामीणों द्वारा सफाई अभियान शुरु करते हुए अवलोकन किया जा रहा है | जीविका से जुड़ी महिलाएं भी तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर लगातार पहल कर रही हैं |
कुसहा त्रासदी के दरमियान कोसी अंचल के पोखरों एवं तालाबों की दुर्दशा से निपटने के लिए ग्रामीणों ने मधेपुरा अबतक को बताया कि हम लोगों की मेहनत के साथ-साथ यदि “मनरेगा योजना” से कुछ मदद मिल जाए तो पोखोरों का जीर्णोद्धार जल्द संभव हो जाएगा | ग्रामीणों ने यह भी कहा कि बरसात के बाद भी यदि तालाब में पानी जमा रहता है तो आजू-बाजू के कुँए एवं चापाकलों में पानी का लेवल सदा बरकरार रहेगा, कभी सुखेगा नहीं | भला क्यों नहीं, अब तो युवा वर्ग भी अनुपम मिश्र की पुस्तक- “आज भी खरे हैं तालाब” का अध्ययन करने लगे हैं |
यह भी बता दें कि नावार्ड के जिला विकास प्रबंधकों द्वारा गोष्ठी आयोजित कर जल संरक्षण के संबंध में आम लोगों को विस्तार से जानकारी दी जा रही है |
फ़िलहाल जल को लेकर विभिन्न देशों एवं प्रदेशों के बीच संघर्ष एवं टकराहट की स्थिति देखी जा रही है | समय रहते यदि हम जागरुक नहीं होते हैं तो निकट भविष्य में धरती के अन्य हिस्सों की तरह हमें भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा | यदि जल ही जीवन है तो तीसरा विश्वयुद्ध इसी के लिए होना अवश्यंभावी है | कई दिग्गज नेताओं ने इस बाबत भविष्यवाणी भी की है |
इसे टालने के लिए विश्व स्तर पर जल संचय को लेकर प्राचीन व्यवस्थाओं को जीवन्त करने के लिए जन-जन को “बूंद-बूंद पानी बचाओ” आंदोलन से जोड़ना होगा तथा पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की तरह हर किसी के मन में यह विश्वास पैदा करना होगा- हम होंगे कामयाब एक दिन ……..!!