‘स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ी कोसी अंचल के मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल जिले की महिलाओं ने तो कमाल कर दिया है | कोसी के 36 हजार 700 समूहों से जुड़े 42 हजार परिवार की महिलाएं प्रति सप्ताह Rs.10 जमा करती है | आपको बता दें कि प्रत्येक समूह में न्यूनतम 8 और अधिकतम 10 महिलाएं होती हैं |
अब भी तो मानेंगे आप कि “बूंद-बूंद से घड़ा भरने वाली कहावत” में कितना दम है | सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जहां कोसी प्रमंडल की महिलाओं ने 2 वर्षों में 33 करोड़ की बचत की है वहीं सूबे में 4 लाख 70 हजार ‘स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ी महिलाओं ने 250 करोड़ से अधिक की बचत की है | इतना ही नहीं, जहां महिलाओं द्वारा जमा की गई राशि से सामूहिक रोजगार शुरू किया जाता है वही सर्वाधिक जरूरतमंद महिलाओं को जमा राशि से ऋण भी दी जाती है और बैंक की तरह उसकी वसूली सूद के साथ भी की जाती है |
यह योजना महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड में सर्वप्रथम 2 अक्टूबर 2009 को शुरू की गई थी | साल लगते-लगते मधेपुरा के 5, सहरसा के 3 एवं सुपौल के 3 प्रखंडों को इस से जोड़ा गया | और आज ! पूछिए मत !!
अब तो मुख्यमंत्री कोसी मलबरी परियोजना के तहत कोसी की महिलाओं द्वारा 199 एकड़ भूमि पर शहतूत की खेती शुरू कर दी गई है | क्या इसे हम महिला सशक्तिकरण योजना के तहत् उन्नत कृषि कार्य की संज्ञा नहीं देंगे ? बिहार आगे बढ़ रहा है नहीं कहेंगे ?