प्रखर गांधीवादी, अमर स्वतंत्रतासेनानी एवं बारह वर्षों तक एम.एल.सी. रहे मो. कुदरतुल्लाह काजमी मधेपुरा की उस अजीम शख्सियत का नाम है जिन्होंने बापू के आह्वान पर नशाबंदी के लिए मधेपुरा की धरती पर सत्याग्रह किया था और इसकी शुरुआत उन्होंने अपने ही पिता की ताड़ी-शराब की दूकान बन्द करवा कर की थी। जी हाँ, अपने ही पिता की दूकान के आगे कई दिनों तक अनशन पर वे बैठे रहे और उठे तो पिता को राजी करने के बाद ही। आगे चलकर मधेपुरावासियों ने उनकी स्मृति को कायम रखने के लिए कुदरतुल्लाह यूनानी दवाखाना का निर्माण किया जो आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और अपने पुनरुद्धार के लिए सरकार की ओर टुकुर-टुकुर देख रहा है।
लगता है बिहार की वर्तमान नीतीश सरकार ने मो. कुदरतुल्लाह सरीखे गांधीवादियों एवं स्वतंत्रतासेनानियों की आत्मा की आवाज सुनकर ही बिहार के गरीबों की दशा सुधारने हेतु राज्य में पूर्ण नशाबन्दी का संकल्प और साहस दिखाया है। सभी तबके के लोगों ने दिल खोल कर सराहना भी की है इस कदम की परन्तु शराब छोड़ने के बाद लोग अक्सर अल्कोहल विड्राल सिंड्रोम से पीड़ित हो जाते हैं। हाल ही में आयोजित ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कॉन्फ्रेंस में उपस्थित विशेषज्ञों ने इस पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के लिए सौंफ का अर्क लाभप्रद होता है।
उक्त कॉन्फ्रेंस में मौजूद बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. अब्दुल गफूर ने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्राचीन काल से ही इस विधि द्वारा उपचार होता आ रहा है। शराब छोड़ने के बाद नींद ना आना, हाथ काँपना, भूख ना लगना आदि शिकायत होने लगती है। सौंफ का अर्क पीने के बाद लोगों को शराब पीने जैसी अनुभूति होती है जिससे वह शान्त हो जाता है।
बता दें कि कुछ समय पूर्व कुदरतुल्लाह साहब की 48वीं पुण्यतिथि समारोह के दरम्यान बिहार सरकार के आपदा-प्रबंधन मंत्री प्रो. चन्द्रशेखर ने समाजसेवी डॉ. मधेपुरी, राजद नेता मो. खालिद, बिजेन्द्र प्रसाद यादव व मो. शौकत अली आदि कि उपस्थिति में मधेपुरा के यूनानी दवाखाना को नवजीवन देते हुए यहाँ आयुष चिकित्सालय निर्माण कराने की बात कही थी। समाजसेवी लोग लगे रहेंगे और कोसी के मंत्री जगे रहेंगे तो क्षेत्र का विकास देर-सवेर होगा ही।