Narendra Modi

मोदीजी, महू से उठाएं अंबेडकर के सपनों को पूरा करने की कसम

अंबेडकर का जितना नाम आज मायावती (बसपा), रामविलास पासवान (लोजपा) और रामदास अठावले (आरपीआई) लेते हैं उतना ही कांग्रेस, वामदल, आम आदमी पार्टी और यहाँ तक कि भाजपा और आरएसएस भी। आज भाषण और नारे उनके बिना पूरे नहीं होते, हर कोई अपने को उनका सच्चा और अच्छा ‘वारिस’ बता रहा है। कारण स्पष्ट है कि भारत की कुल आबादी का एक चौथाई वोट ‘अंबेडकर’ नाम से जुड़ा है। ये अलग बात है कि वोटों के गुणा-भाग में दल और नेता उन वजहों को ही भूल जाते हैं जिन्होंने अंबेडकर को ‘अंबेडकर’ बनाया।

बहरहाल, आज बाबा साहब की 125वीं जयंती है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘भारतीय संविधान के जनक’ को श्रद्धांजलि देने उनके जन्म-स्थान महू (मध्यप्रदेश) पहुँचे और आज से 24 अप्रैल तक ‘ग्राम उदय से भारत उदय’ आंदोलन चलाने की घोषणा की। शायद आपको आश्चर्य हो कि मोदी महू स्थित अंबेडकर स्मारक जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले जवाहरलाल नेहरू महू गए जरूर थे लेकिन तब स्मारक नहीं बना था।

प्रधानमंत्री मोदी ने आज महू में आयोजित बड़ी सभा में कहा कि बाबा साहब एक व्यक्ति नहीं थे बल्कि एक ‘संकल्प’ का नाम थे। उन्होंने स्वयं को भाग्यशाली बताया कि उन्हें उस धरती को नमन करने का मौका मिला जहाँ बाबा साहब का जन्म हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी माँ बचपन में बर्तन साफ करती हो उसका बेटा प्रधानमंत्री बन जाए तो इसका श्रेय बाबा साहब को जाता है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर की लड़ाई सामाजिक अन्याय के खिलाफ और समानता और बराबरी की स्थापना के लिए थी। लगे हाथ उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साध लिया कि छह दशकों तक गरीबी-गरीबी करने वालों ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया।

अंबेडकर ने बहुत पहले कह दिया था कि जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके लिए बेमानी है। आज अक्षरश: यही हो रहा है। दलितों के हित के नाम पर आज कई कानून और अधिनियम हैं, पर उनका दमन बदस्तूर जारी है। आज ये महत्वपूर्ण नहीं है कि उनकी इस स्थिति के लिए कल जिम्मेदार कौन था? महत्वपूर्ण ये है कि इस स्थिति को हल करने के लिए हम आज क्या कर रहे हैं? स्वाभाविक है कि आज ये अपेक्षा देशवासियों को अपने प्रधानमंत्री से होगी।

नरेन्द्र मोदी ने ‘ग्राम उदय से भारत उदय’ आंदोलन को शुरू करने के लिए बहुत सही दिन और बहुत सही जगह का चयन किया। पर ये उदय ‘पूर्णोदय’ तब तक नहीं होगा जब तक करोड़ों दलित बच्चे स्कूल जाने की उम्र में मजदूरी करेंगे, जब तक उनके पिता सिर पर मैला ढोएंगे और फिर बांधकर पीटे भी जाएंगे और जब तक उनकी माँओं का गैंगरैप कर उन्हें नंगा घुमाया जाता रहेगा..! मोदीजी, आज आप महू गए, वहीं से उठाएं अंबेडकर के सपनों को पूरा करने की कसम।

‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप

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