भारतीय राजनीति में विद्वता, शालीनता और सौम्यता के चंद प्रतीकों में एक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 50 साल बाद अपने पुराने संस्थान पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में वापसी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस विश्वविद्यालय में 50 साल पहले अपना आखिरी लेक्चर देने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने यहाँ के जवाहरलाल नेहरू चेयर के लिए प्रोफेसर बनने की पेशकश स्वीकार कर ली है।
पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार ग्रोवर ने बताया कि मनमोहन सिंह यहाँ आने और छात्रों से होने वाले संवाद को लेकर बहुत खुश हैं। चंडीगढ़ यात्रा के दौरान छात्रों को लेक्चर देने के साथ-साथ वे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी उन्हें पढाएंगे। सारे जरूरी इंतजाम कर लिए गए हैं।
बता दें कि मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से 1954 में अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएशन किया था। तीन साल बाद 1957 में वे यहाँ सीनियर लेक्चरर होकर आए और बाद में उन्होंने प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाया। मनमोहन सिंह ने पीएच.डी. की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से तो डी. फिल. की उपाधि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से ली थी।
डॉ. सिंह का इससे आगे का सफर अब इतिहास है। 1971 में उन्हें भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य सलाहकार बनाया गया। बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे भारत के वित्त मंत्री और फिर प्रधानमंत्री हुए। भारत के आर्थिक सुधारों के इस प्रणेता के व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि जवाहरलाल नेहरू के बाद वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिसे पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला।
प्रोफेसर के रूप में अपनी पारी फिर से शुरू कर रहे डॉ. मनमोहन सिंह को हमारी शुभकामनाएं। ये निर्णय लेकर उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की याद ताजा कर दी। सच है, भारत की मिट्टी ऐसे सपूतों से कभी खाली नहीं होगी।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप