आज जहाँ एक इंसान दूसरे इंसान के काम नहीं आता, वहाँ सीआरपीएफ के सात जवान एक कुत्ते के लिए शहीद हो गए। चौंकिए नहीं, बिल्कुल सही पढ़ा है आपने। आज जबकि हमारी संवेदना भी लगभग यंत्रवत हो चुकी है, तब भी कुछ मिसालें सामने आती हैं और मरती मानवता को ‘ऑक्सीजन’ दे जाती हैं। घटना छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा की है जहाँ कल सीआरपीएफ के सात जवान नक्सलियों के बारूदी सुरंग का शिकार हो गए। ये जवान जिस कुत्ते की जान बचाने जा रहे थे वो पहले कई बार अपनी सूंघने की ताकत से जवानों की जान बचा चुका था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘स्काउट’ नाम का यह कुत्ता सीआरपीएफ का स्निफर डॉग (सूंघने की क्षमता वाला कुत्ता) था। बेल्जियन मेलिनॉइस नस्ल का यह कुत्ता जंगल की परिस्थितियों में रहने की वजह से डिहाइड्रेशन का शिकार हो गया था। बीमार ‘स्काउट’ को ये जवान जानवरों के अस्पताल में भर्ती कराने के लिए जा रहे थे। बड़ी बात ये कि वे सभी जानते थे कि रास्ते में नक्सली उन पर हमला कर सकते हैं। एहतियात के तौर पर वे सीआरपीएफ की गाड़ी की बजाय एक टेम्पो में और सफेद कपड़ों में निकले। पर नियति को कुछ और मंजूर था। नक्सली रास्ते में उनकी मौत का सामान पहले ही बिछा चुके थे। उन्होंने करीब 50 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल कर बारूदी सुरंग से जवानों के टेम्पो को उड़ा दिया।
मानवीय संवेदना की कितनी अद्भुत मिसाल है ये। यही वो देश है जहाँ चलती बस में छह-छह दरिंदे ‘निर्भया’ का गैंगरेप करते हैं और नग्न अवस्था में उसे सड़क के किनारे फेंक देते हैं। पराकाष्ठा ये कि वो सड़क देश की राजधानी की होती है जहाँ सैकड़ों लोग उसे नग्न-निढ़ाल देखते हैं और चलते बनते हैं। ‘कृष्ण’ के इस देश की बेटी को दो गज कपड़ा भी घंटों बाद नसीब होता है और यही वो देश है जहाँ सात-सात जवान एक कुत्ते के लिए शहीद हो जाते हैं। ऐसा अनजाने में हुआ होता तो इसे ‘दुर्घटना’ कहा जाता। लेकिन अपने साथी कुत्ते के लिए उन सबने सब कुछ जानते हुए भी अपनी जान को जोखिम में डाला और अंतत: शहीद हो गए।
उन सात जवानों के नाम शायद ही हम याद रख पाएं लेकिन उनकी ये अनोखी शहादत सदियों तक मानवता के पथ से भटके हर राही को राह दिखाएगी। आइए, बहुत-बहुत आदर से उन शहीदों को सलाम करें और श्रद्धा से झुका दें अपने शीश।
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप