बिहार सरकार ने शराबबंदी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने 1915 में बने बिहार उत्पाद विधेयक में संशोधन करते हुए जहरीली शराब बनाने और बेचने वालों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया है। बच्चों एवं महिलाओं को शराब के धंधे में लगाने पर दस लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ-साथ दस साल तक की सजा मिल सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की योजना इन कड़े प्रतिबंधों के जरिये पहले गांव को शराब से मुक्त करने की है। इसके बाद शहरों की बारी आएगी। नया कानून कल यानि एक अप्रैल से प्रभावी हो जाएगा।
101 साल पुराने अधिनियम को बदलकर लाए गए नए प्रावधान में बच्चों एवं महिलाओं का खास ख्याल रखा गया है। 21 साल से कम उम्र के बच्चों एवं महिलाओं को शराब के कारोबार में लगाने के जुर्म का उल्लेख अलग से किया गया है। शराब के अवैध व्यापार में लिप्त रहने पर कारोबारी की सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत है कि 31 मार्च को बची हुई सारी देसी और मसालेदार शराब को नष्ट कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अवैध कारोबारियों पर अंकुश लगाने के लिए पड़ोसी राज्यों से भी सम्पर्क किया है। दूसरे राज्यों से शराब लाकर बिहार में कारोबार की छूट नहीं दी जाएगी। सीमा पर चेकपोस्ट और बैरियर बनाए जा रहे हैं। पड़ोसी राज्यों से शराब या स्प्रिट लेकर बिहार में प्रवेश करने वाले वाहनों को सीमा पर ही लॉक कर दिया जाएगा, जो सीमा पार करने के बाद ही खुलेगा। यही नहीं, अब दूसरे राज्यों के सामान लेकर आने-जाने वाले वाहनों को चौबीस घंटे के भीतर बिहार से बाहर जाना होगा। रेलवे ट्रैक एवं स्टेशनों पर भी पुलिस की पेट्रोलिंग होगी। नदी मार्ग की भी निगरानी की जाएगी। इन सबके साथ-साथ होम्योपैथी दवाओं के नाम पर अवैध शराब और स्प्रिट के धंधे में लगे लोगों पर भी सरकार नज़र रखेगी।
सरकार केवल कड़े नियम बनाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं मान रही। वो शराब की लत छुड़ाने के मोर्चे पर भी काम कर रही है। इसके लिए अनवरत जनजागरण के साथ ही हर जिले में दस-दस बेड वाले डी-एडिक्शन सेन्टर भी खोले गए हैं। इन सेन्टरों पर 135 डॉक्टरों को तैनात किया गया है। इन सभी डॉक्टरों को बेंगलुरु में दो सप्ताह की ट्रेनिंग दिलाई गई है। सभी सेन्टरों पर काउंसलिंग की व्यवस्था विशेष तौर पर की गई है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार ने अपनी दृढ़ ‘इच्छाशक्ति’ दिखाई है। मुख्यमंत्री इसके लिए बधाई के पात्र हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार की ‘इच्छाशक्ति’ यूँ ही कायम रहेगी और आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा व मिजोरम की तरह बिहार में शराबबंदी का प्रयोग विफल नहीं होगा..!
‘मधेपुरा अबतक’ के लिए डॉ. ए. दीप