अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बढ़ता प्रभाव और उनकी लोकप्रियता का दिन-ब-दिन बड़ा होता कैनवास अब शोध का विषय है और ये शोध विश्व की महाशक्ति कहे जाने वाले अमेरिका में हो रहा है। जी हाँ, अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में मोदी की वैश्विक छवि को लेकर एक शोध किया गया और इस शोध से प्राप्त निष्कर्ष में कहा गया कि उनकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के नेता की छवि बनाने में सोशल मीडिया ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
बता दें कि मिशिगन यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के प्रोफेसर जोयोजीत पाल मोदी द्वारा पिछले छह सालों में सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट का अध्ययन कर रहे हैं। गहन अध्ययन और विश्लेषण के बाद उन्होंने पाया कि सोशल मीडिया पर व्यक्त किए गए मोदी के विचार और उनके रचनात्मक ट्वीट ने विश्व के सबसे प्रभावशाली नेताओं में उनके शुमार होने में बड़ी भूमिका निभाई है।
शोध में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पारंपरिक मीडिया के तरीकों को पूरी तरह नकारते हुए अपने समर्थकों से सीधे तौर पर सम्पर्क बनाया जिससे उनकी छवि में जबरदस्त सुधार आया। यही नहीं, ट्वीटर पर लगातार सक्रिय रहकर उन्होंने खुद को एक शक्तिशाली ब्रांड के रूप में विकसित किया।
प्रोफेसर पाल के मुताबिक मोदी भारत के अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों में सबसे ज्यादा संवाद करने वाले पीएम हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री के विचार जानने हैं तो आप ट्वीटर के जरिये हर मुद्दे पर उनके विचार जान सकते हैं और यही वजह है कि मोदी आज विश्व के सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्रियों की सूची में शामिल हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी ने आम जनता से संवाद करने से लेकर सरकार चलाने तक में जिस तरह सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है उससे सम्पर्क के नए माध्यमों को नया आयाम मिला है। ना केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि अपनी सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाने तथा योजनाओं में त्वरित कार्रवाई के साथ लोगों को जोड़ने में आधुनिक संचार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर वो लगातार जोर देते हैं। इस दिशा में मोदी की सक्रियता का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि सोशल मीडिया पर उन्हें चाहने वालों की संख्या दो करोड़ को छूने लगी है।
एक तरफ जहाँ मोदी सोशल मीडिया पर हर दिन नया इतिहास रचने को तत्पर हैं वहीं इसके बरक्स एक सच्चाई यह भी है कि स्वयं उनके कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह समेत उनकी सरकार के एक दर्जन से अधिक मंत्रियों की इसमें कोई रुचि नहीं है। ऐसे मंत्रियों में अनंत कुमार, बंडारु दत्तात्रेय, उमा भारती, मेनका गांधी, मनोज सिन्हा, हंसराज अहीर, संजीव बालियान, कृष्णपाल गूजर आदि के नाम शामिल हैं। इनमें कई मंत्रियों का तो सोशल मीडिया पर अकाउंट तक नहीं है।
बहरहाल, मोदी उन चन्द नेताओं नें शुमार हैं जो केवल निर्देश नहीं देते बल्कि आगे बढ़कर उदाहरण पेश करते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि उनकी सरकार के मंत्री भी उनके साथ कदमताल करेंगे और सोशल मीडिया को विकास और परिवर्तन का नया औजार बनाएंगे।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप