The Lokarpan Ceremony of Parivartan Ki Pyas by Dr.Bhupendra Narayan Yadav Madhepuri at T.P.Collegiate Madhepura .

डॉ.मधेपुरी ने ‘परिवर्तन की प्यास’ का किया लोकार्पण

परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है | जन्म के बाद बच्चा शनै:-शनै: किशोरावस्था को प्राप्त करता है और फिर युवा होकर वृद्धावस्था को | नहीं चाहने पर भी परिवर्तन होता ही रहता है | सच तो यह है कि संसार का कोई भी मनुष्य बुढा होना नहीं चाहता, लेकिन बिना बुलाये भी बुढ़ापा उसके पास आ ही जाता है | इससे इतर सामाजिक गैरबराबरी को दूर कर हर क्षेत्र में समानता लाने के लिए ‘परिवर्तन की प्यास’ वाले शूरमाओं में कबीर से लेकर कर्पूरी तक निरन्तर डटे रहे, लगे रहे फिर भी असमानताओं, सामाजिक कुरीतियों एवं अन्धविश्वासों को शून्य के करीब ले जाने की यात्रा पूरी नहीं कर सके………..| आज भी समाज को इन बुराईयों से मुक्ति दिलाने के लिए युवा कवि, कथाकार-नाटककार-उपन्यासकार प्रमोद कुमार सूरज के काव्य संग्रह “परिवर्तन की प्यास” की जरूरत है- ये बातें समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने स्थानीय टी.पी.कॉलेजिएट के परिसर में तब कही जब वे भारतीय जनलेखक संघ के बैनर तले आयोजित “परिवर्तन की प्यास” काव्य-संग्रह के लोकार्पण समारोह का उद्घाटन कर रहे थे |

The Lokarpan Ceremony of Parivartan Ki Pyas written by P.K.Suraj .
The Lokarpan Ceremony of Parivartan Ki Pyas written by P.K.Suraj .

डॉ.मधेपुरी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि रस-छन्द एवं अलंकार से मुक्त “परिवर्तन की प्यास” की कुल पैंतीस में से अधिकांश कविताओं में सुकवि सूरज ने देश में व्याप्त अन्याय, अनीति और अत्याचार सहित किसानों-मजदूरों की बदहाली को रोकने के लिए कबीर, गाँधी और सुभाष को बारी-बारी से याद किया है | उन्होंने प्रमोद कुमार सूरज के इस सार्थक प्रयास के लिए तथा भविष्य में रचना धर्मिता को गति देते रहने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ भी दी |

समारोह की अध्यक्षता मंडल वि.वि. के पी.जी. हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्र ना. यादव ने की और विशिष्ठ अतिथि के रूप में डी.एस.कॉलेज कटिहार के डॉ.सुरेन्द्र ना. यादव एवं डॉ.ओम प्रकाश ने विस्तार से काव्यसंग्रह की समीक्षा कर श्रोताओं को देर तक बांधे रखा | भारतीय जन लेखक संघ के महासचिव महेंद्र ना. पंकज ने संघ के कार्यक्रमों से सबों को अवगत कराते हुए ‘परिवर्तन की प्यास’ की जमकर सराहना की |

द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें राजू भैया, उल्लास मुखर्जी, द्विज राज, डॉ.मधेपुरी, संतोष सिन्हा, प्रो.भूपेन्द्र भूप, प्रो.सतीश शर्मा, हरीशचन्द्र मंडल इंजीनियर, प्रो.गजेन्द्र, डॉ.दयानन्द, डॉ.सुरेश कुमार, डॉ.नारायण, सुरेश कुमार शशि, डॉ.नरेन्द्र, प्रो.जय जय राम आदि ने अपनी प्रतिनिधि रचना सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी |

आरम्भ में स्वागत गीत प्रस्तुत किया प्रियांशी भारती ने तथा तबले पर संगत किया ब्रजेश कुमार ने | शशि ने गीत-गजल से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया | धन्यवाद ज्ञापन किया मंच संचालक गजेन्द्र कुमार !

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