बिहार चुनाव में महागठबंधन की जीत के कई कारण गिनाए गए हैं लेकिन सच ये है कि जिस चीज ने नीतीश की जीत में निर्णायक भूमिका निभाई वो है नीतीश का ‘संयम’ जिसे उन्होंने तमाम ‘वार’ झेलते हुए भी पूरे चुनाव में निभाया। दूसरी ओर शुरुआती हवा एनडीए के पक्ष में दिखने के बावजूद मोदी और उनकी टीम का ‘असंयमित’ व्यवहार उनकी हार का कारण बना। लेकिन लालू और कांग्रेस का साथ लेकर सरकार चला रहे नीतीश के संयम की डोर शायद थोड़ी ‘ढीली’ पड़ रही है..! अब ये उनका ‘असंयम’ है या ‘आत्मविश्वास’ ये तो आने वाला वक्त बताएगा, बहरहाल आज उन्होंने ये बयान दिया है कि केन्द्र केवल ‘बातों’ में स्मार्ट है, जबकि ‘हम’ काम करने में स्मार्ट हैं।
आज सीएम सचिवालय के संवाद कक्ष में विभिन्न योजनाओं की शुरुआत एवं लोकार्पण करते हुए स्मार्ट सिटी के मुद्दे पर केन्द्र को आड़े हाथ लेते हुए नीतीश ने कहा कि हमें स्मार्ट सिटी की चिन्ता नहीं है। केन्द्र सरकार प्रत्येक स्मार्ट सिटी को हर वर्ष सौ करोड़ रुपये देगी। इससे क्या होगा..? कोई शहर कितना स्मार्ट बनेगा..? पाँचवें राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत हम आठ हजार करोड़ रुपये देंगे।
नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सौ शहरों को स्मार्ट बनाने की बात की थी, जबकि चयन केवल बीस का ही किया गया। बिहार को छोड़ दिया गया। अब हम अपने प्रयासों से शहरों को मजबूत बनाएंगे। इसके लिए शहरी अभियंत्रण संगठन बनाया जा रहा है जो निकायों के लिए इंजीनियरिंग क्षेत्र में लाभप्रद होगा।
बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने सात निश्चयों को मिशन मोड में पूरा करने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा कि शहर से लेकर गांव तक हमें हर हाल में नल का पानी उपलब्ध कराना है। पेयजल योजनाओं को नगर निकायों के माध्यम से पूरा किया जाएगा। सात निश्चयों में शामिल ‘हर घर में शौचालय’ के लिए भी उन्होंने प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि केन्द्र से इसके लिए सिर्फ चार हजार रुपये दिए जाते हैं। राज्य सरकार ने इसमें अपनी ओर से आठ हजार रुपये जोड़े हैं ताकि शौचालय निर्माण में कोई कमी ना रह जाय। उन्होंने नाली निर्माण और हर घर में बिजली के मुफ्त कनेक्शन की बात भी दुहराई।
नीतीश-राज में जनप्रतिनिधि आमतौर पर ‘अफसरशाही’ से त्रस्त रहे हैं। लेकिन आज नीतीश ने कहा कि निर्णय जनप्रतिनिधि को लेना है। अफसर का काम उन्हें क्रियान्वित करना है। उन्होंने अफसरों को काम के जरिए ‘पावरफुल’ होने की नसीहत दी और कहा कि काम से ही किसी के दिल में जगह बनती है।
नीतीश काम करने के लिए जाने जाते हैं। बिहार की जनता ने उन्हें पाँचवीं बार चुना भी इसीलिए है। नीतीश जैसे ‘मैच्योर्ड’ राजनेता को अच्छी तरह पता है कि केन्द्र से ‘सकारात्मक’ संबंध के बिना किसी राज्य का ‘निर्बाध’ विकास सामान्यतया संभव नहीं है। उन्हें चाहिए कि राज्य के हित के लिए ‘राजनीति’ से ऊपर उठें और जनता के विवेक पर भरोसा करें। सूचना-क्रांति के इस युग में जनता तक सही-गलत पहुँचने में वैसे भी देर नहीं लगती। और हाँ, अपना ‘संयम’ और अपनी ‘शालीनता’ तो वो हर हाल में बना कर रखें क्योंकि ये उनकी या किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे बड़ी ‘पूंजी’ होती है।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप