Hanumanthappa Koppad

अपनी एक साल की बेटी को उसके नाम की परिभाषा दे गए हनुमंथप्पा

लांसनायक हनुमंथप्पा कोप्पाड़ हमारे बीच नहीं रहे। सियाचिन ग्लेशियर में माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच छह दिन तक कई टन बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी सियाचिन को जीत लेने वाला हनुमंथप्पा ज़िन्दगी की जंग हार गया। बीस हजार फुट ऊँची चोटी पर डेढ़ सौ घंटों तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बावजूद हनुमंथप्पा का जिन्दा रहना ‘चमत्कार’ था। मानवता के सम्पूर्ण इतिहास में अदम्य जिजीविषा की ऐसी दूसरी बानगी नहीं। वे तो हनुमंथप्पा के शरीर के अहम अंग थे जिन्होंने इलाज के दौरान काम करना बंद कर दिया वरना ‘मन’ से तो उस जवान ने मौत को भी मात दे ही दी थी।

Hanumanthappa's Rescue Operation at Siachen.
Hanumanthappa’s Rescue Operation at Siachen.

आज जबकि हममें से ज्यादातर ऐशो-आराम के लिए ‘मरे’ जा रहे हैं, इस 33 साल के जांबाज ने अपनी 13 साल की नौकरी में शांति वाले क्षेत्रों की जगह आगे बढ़-बढ़कर कठिन और संघर्ष वाले क्षेत्रों को चुना और पूरे दस साल हम सबके लिए ‘लड़ने’ में बिता दिए। सियाचिन पोस्ट पर हनुमंथ्प्पा की तैनाती पिछले साल चार अक्टूबर को हुई थी। यहाँ दिन का तापमान माइनस 15 डिग्री होता है और रात में माइनस 55 डिग्री तक गिर जाता है लेकिन हनुमंथप्पा की मुस्तैदी में कभी रत्ती भर भी कमी नहीं देखी गई। तीन फरवरी को जब 800 फुट लम्बी और 400 फुट चौड़ी बर्फ की दीवार टूटकर दुनिया के सबसे ऊँचे युद्धक्षेत्र सियाचिन के उत्तरी ग्लेशियर में सेना के शिविर पर आ गिरी, उस वक्त भी ये जवान अपनी ‘ड्यूटी’ पर तैनात था और इस कदर तैनात था कि नौ साथियों के बर्फ की कब्र में शहीद हो जाने के बावजूद हमें ‘फर्ज’ और ‘साहस’ की सच्ची परिभाषा समझा देने तक खुद को जिन्दा रख पाया।

PM Modi & Army Chief Suhag Paying a visit to Hanamanthappa at Army Hospital in Delhi.
PM Modi & Army Chief Suhag Paying a visit to Hanamanthappa at Army Hospital in Delhi.

कर्नाटक में धारवाड़ के छोटे से गांव बेटूर के रहने वाले हनुमंथप्पा के गांव में ज्यादातर लोग किसान हैं। चार भाइयों में सबसे छोटे हनुमंथप्पा का परिवार भी खेती करता है। हनुमंथप्पा ने गांव के स्कूल में ही शुरुआती पढ़ाई की थी और रिटायर होने के बाद वहीं बच्चों को पढ़ाना चाहते थे। हनुमंथप्पा की शादी चार साल पहले हुई थी। अपनी पत्नी की गोद में वो एक बेटी छोड़ गए जो पिछले साल ही पैदा हुई। बेटी का नाम उन्होंने ‘नेत्रा’ रखा था।

Hanumanthappa's Mother, Wife & Daughter 'Netra'.
Hanumanthappa’s Mother, Wife & Daughter ‘Netra’.

एक साल की मासूम ‘नेत्रा’ अब अपने पिता को अपनी माँ के सूने नेत्रों में ही देख पाएगी लेकिन वो बड़ी होगी देश के करोड़ों नेत्रों के बीच जिनमें उसके पिता के लिए श्रद्धा का अथाह जल उमड़ रहा होगा। बड़ी होकर वो जान पाएगी कि उसके पिता ने अपनी बेटी का नाम ‘नेत्रा’ यूं नहीं रखा था… उसने अपने ‘बलिदान’ से उस नाम को परिभाषित भी किया था। नमन हनुमंथप्पा… शत्-शत् नमन।

Army chief Gen. Dalbir Singh Suhag, Air Chief Marshal Arup Raha and Navy chief, Admiral Robin K. Dhowan paying last respects to Lance Naik Hanumanthappa.
Army chief Gen. Dalbir Singh Suhag, Air Chief Marshal Arup Raha and Navy chief, Admiral Robin K. Dhowan paying last respects to Lance Naik Hanumanthappa.

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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