बापू की शहादत के बाद स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा डाक बंगला परिसर में स्थापित बापू की प्रतिमा के समक्ष जिला परिषद अध्यक्षा मंजू देवी की अध्यक्षता में डी.एम. मो.सोहैल, एस.पी. कुमार आशीष, डी.डी.सी. मिथिलेश कुमार, एस.डी.एम. संजय कुमार निराला सहित डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी, प्रो.श्यामल किशोर यादव, प्रो.शचीन्द्र, नरेश पासवान, जिला प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोर कुमार, स्काउट के जिला प्रशिक्षण आयुक्त जयकृष्ण यादव सहित इप्टा के डॉ.नरेश कुमार, बंटी, सुभाष चंद्रा, सुनीत साना, शनिउल्लाह, शशिभूषण आदि ने सर्वप्रथम दो मिनट का मौन रखा | शशिप्रभा एवं तनुजा द्वारा बापू के प्रिय भजन- बैष्णव जनतें……. का गायन एवं स्कूली बच्चों की उपस्थिति में सुधिजनों द्वारा बापू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि किया गया |
उदगार व्यक्त करते हुए डायनेमिक डी.एम. मो. सोहैल एवं एस.पी. आशीष कुमार ने बापू के सत्य-अहिंसा को बेमिसाल बताते हुए ऐसे अवसर पर विचार गोष्ठी के आयोजन पर बल दिया तथा गाँधी के विचार को आज भी प्रासांगिक बताया | डॉ.मधेपुरी ने शहीद चुल्हाय की शहादत को भी याद किया |
इस अवसर पर मधेपुरा अबतक द्वारा डॉ.मधेपुरी से यह पूछे जाने पर कि जब बापू पर बिरला मन्दिर में 30 जनवरी को प्रार्थना के समय तीन गोलियाँ दागी गयी तो उनके तीनों बन्दर कहाँ गये, किधर गये ? – के जवाब में उन्होंने कहा कि पहली गोली की आवाज सुनकर जो बन्दर कान मूंदे हुए था- वह संसद की ओर भागा और सरकार में सम्मिलित हो गया | तबसे भारत की सरकार बहरी हो गयी | दूसरा आँखें बन्द वाला बन्दर सुप्रीम कोर्ट जाकर कानून को अँधा बना दिया | और तीसरा मुँह मूंदे हुए यमुना पार कर भारत के गाँवों में बस गया- जो भारत की गूंगी जनता बन गयी | बापू उन्हीं बेजुबान ग्रामीणों की आवाज बनने की जवाबदेही हम सबों के कन्धों पर सौंप कर सुकून के साथ- हे राम ! कहकर संसार को अलविदा कह गये |