Naked Truth of Capitalism

पूंजीवाद का नंगा सच… 62 अमीरों के पास है दुनिया का आधा पैसा

दुनिया के सारे नेता चाहे जो भाषण दे लें, दुनिया भर की सरकारें चाहे जितनी नीतियां बना लें, आर्थिक असमानता के विश्लेषण के लिए चाहे जितने नोबेल पुरस्कार दे दिए जाएं… सच ये है कि हर बीतते दिन के साथ अमीर और गरीब के बीच की खाई और बड़ी, और गहरी होती जा रही है। क्या आप यकीन करेंगे कि दुनिया के आधे पैसे पर महज 62 लोगों का कब्जा है। इन 62 धनकुबेरों में 53 पुरुष और 9 महिलाएं हैं। जी हाँ, इसका खुलासा कल जारी की गई ‘ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट ‘एन इकोनॉमी फॉर द वन परसेंट’ में हुआ है।

‘ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के एक प्रतिशत अमीर लोगों की दौलत शेष 99 प्रतिशत लोगों की कुल संपत्ति के बराबर हो गई है। इसमें कहा गया है कि 2010 से लेकर अब तक दुनिया भर के अमीरों की सम्पत्ति में करीब 11 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है। इस अवधि में अमीरों की सम्पत्ति जहाँ 44 प्रतिशत बढ़ी, वहीं गरीबों की सम्पत्ति में 41 प्रतिशत की कमी आई।

आंकड़े यह भी बताते हैं कि 1990 से लेकर 2010 तक वैश्विक गरीबी लगभग आधी हो गई थी। हालांकि इस दौरान आम लोगों की आमदनी में नाममात्र इजाफा हुआ। इस दौरान महज 10 प्रतिशत लोगों की सालाना आमदनी बढ़ी और वो बढोतरी थी केवल 180 रुपये की।

‘ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट से आर्थिक असमानता की जो भयावह तस्वीर सामने आई है उसकी भविष्यवाणी गरीबों के लिए काम करने वाली इस संस्था ने 2015 में ही कर दी थी। उसने कहा था कि जल्द ही एक प्रतिशत आबादी के पास दुनिया के शेष लोगों से ज्यादा पैसा होगा। हालांकि ये समस्या इतनी जटिल और इतने स्तरों पर है कि इसका कोई एक कारण नहीं कहा जा सकता। स्वाभाविक रूप से इसके कई कारण हैं और सबसे बड़ा कारण है राष्ट्रीय आय में गरीबों की भागीदारी कम होना। यही कारण है कि दुनिया भर में दौलत कुछ लोगों के पास सिमट कर रह गई है। अधिकतर विकसित और विकासशील देशों में कर्मचारी और मजदूरों की आय लगातार कम हो रही है।

हैरानी की बात तो ये है कि दुनिया की सारी सरकारें सब कुछ देख और समझकर भी खामोश बैठी हैं। खामोश ही नहीं ये तमाम सरकारें पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली होकर रह गई है। ये पूंजीवाद का नंगा सच है और दिन-ब-दिन इसका रूप और विकराल और वीभत्स होता जाएगा। क्या हम कुछ नहीं करेंगे… कुछ भी नहीं..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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