HAM Party Dharna at Madhepura

‘हम’ ने शुरू की अपने ‘होने’ का अहसास कराने की जद्दोजहद

विधानसभा चुनाव के ‘सदमे’ से उबरने में बेशक थोड़ा वक्त लगा हो लेकिन ‘हम’ ने बिहार में अपने ‘होने’ का अहसास नए सिरे से कराने की जद्दोजहद शुरू कर दी है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा – सेक्युलर (‘हम’) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के निर्देशन एवं प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल के आह्वान पर कल यानि सोमवार 12 जनवरी 2016 को पार्टी ने बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर ‘किसानविरोधी’ और ‘जनविरोधी’ सरकार के खिलाफ एकदिवसीय धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया।  मधेपुरा में भी जिला अध्यक्ष अध्यक्ष शौकत अली के नेतृत्व में ‘हम’ ने किसानों की समस्या एवं हत्या, अपहरण आदि की बढ़ती घटनाओं को लेकर राज्य सरकार के प्रति आक्रोश जताया और इस बहाने लोगों से जुड़ने और पार्टी की जड़ जमाने की कोशिश की।

मोहम्मद शौकत अली की अध्यक्षता में समाहरणालय गेट के सामने धरना देते हुए विभिन्न प्रखंडों के अध्यक्ष किसानों की धान की खरीद नहीं होने, बोनस नहीं दिए जाने और पूर्व बकाये का भुगतान नहीं किए जाने पर जमकर बरसे। मौके पर ‘हम’ के जिला छात्र अध्यक्ष नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष रविन्द्र कुमार, जिला संगठन सचिव शिवदेव मंडल एवं जिला प्रवक्ता अशोक झा ने राज्य में अपराध व भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं को लेकर सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष शौकत अली के साथ प्रखंड अध्यक्ष मनिका देवी (सिंहेश्वर), पवन गुप्ता (चौसा), राजेन्द्र चौधरी (बिहारीगंज), नित्यानंद ऋषिदेव (कुमारखंड), गुद्दर ऋषिदेव (घैलाढ़) सहित बनिलाल, प्रयाग व रामचन्द्र ऋषिदेव ने जिला पदाधिकारी को पार्टी की ओर से ज्ञापन भी सौंपा।

धरना-प्रदर्शन के बहाने ‘हम’ ने मधेपुरा का ध्यान तो खींचा लेकिन इसकी एक दूसरी वजह भी रही। जी हाँ, इसी दिन पार्टी की अन्दरूनी तनातनी और खेमेबाजी भी सामने आई। मोहम्मद शौकत अली की अध्यक्षता में समाहरणालय के समक्ष दिए जा रहे धरना के समानान्तर स्थानीय कला भवन के समक्ष एक और धरना दिया गया जिसकी अध्यक्षता सिंहेश्वर से पार्टी की प्रत्याशी रही मंजू देवी ने की और धरने का संचालन ‘हम’ के नेता ध्यानी यादव ने किया। इस धरने में चन्द्रदेव पंकज, मनोज यादव, भूषण झा, चन्दन मंडल, संजय राय, गजेन्द्र पासवान, सुरेन्द्र सरदार आदि उपस्थित थे।

उद्देश्य भले ही दोनों खेमों का समान हो और दोनों ही खेमे शीर्ष नेतृत्व के प्रति समर्पण भी जता रहे हों लेकिन जिले में चुनाव के बाद हो रहे पहले बड़े आयोजन में पार्टी के इस तरह दो खेमे में बंट जाने से इसके समर्थक निराश देखे गए। दोनों खेमे को आज नहीं तो कल ये समझना ही होगा कि उद्देश्य बड़ा हो तो छोटे मतभेदों को दूर कर लेना ही श्रेयस्कर होता है।

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