Kashmiya Wahi

आइंस्टीन और हॉकिंग से अधिक है भारत की बेटी काश्मिया का आईक्यू

अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग इस धरती पर मानव-मस्तिष्क के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। अपनी बेजोड़ उपलब्धियों से इन महान वैज्ञानिकों ने मानव-मस्तिष्क की अद्भुत क्षमता से हमारा परिचय कराया। आज मानव-जाति ने टेक्नोलॉजी के मामले में अभूतपूर्व प्रगति कर ली है और करोड़ों मस्तिष्क दिन-रात ‘असंभव’ को ‘संभव’ बनाने की जंग में जुटे हुए हैं तब भी आइंस्टीन और हॉकिंग के आगे का रास्ता अभी तय नहीं हो पाया है। ऐसे में 11 साल की एक बच्ची आईक्यू के मामले में इन दोनों दिग्गजों को पीछे छोड़ दे तो इसे कुदरत के करिश्मा के अलावा क्या कहेंगे आप..? और जब आपको कहा जाय कि ये कमाल भारत की किसी बेटी ने किया है तो क्या प्रतिक्रिया होगी आपकी..?

जी हाँ, ब्रिटेन में रह रही भारतीय मूल की 11 वर्षीया काश्मिया वाही ने ‘मेनसा’ की आईक्यू परीक्षा में सौ फीसदी यानि 162 में से 162 अंक लाकर अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग को पीछे छोड़ दिया है। काश्मिया की ये उपलब्धि कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सार्वकालिक महान जिन दो वैज्ञानिकों के नाम ऊपर लिए गए हैं उनका आईक्यू 160 माना जाता है।

मुंबई में जन्मी काश्मिया के पिता विकास लंदन के एक बैंक में आईटी प्रबंधन से जुड़े हैं और माँ का नाम पूजा वाही है। पश्चिमी लंदन के नॉटिंग हिल एंड ईलिंग जूनियर स्कूल की इस छात्रा ने अपने माता-पिता की नज़र में खुद को साबित करने के लिए ‘मेनसा’ की प्रतिष्ठित परीक्षा में हिस्सा लिया था। बता दें कि ‘मेनसा’ संसार की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी उच्च आईक्यू सोसायटी मानी जाती है और “कैटल-3 बी मेनसा” आईक्यू के आकलन की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति रखने वाली प्रक्रिया है। इसके तहत कुल 150 सवाल पूछे जाते हैं और इस परीक्षा में शामिल होने की न्यूनतम आयु साढ़े दस साल है।

अपनी करिश्माई उपलब्धि के बाद काश्मिया ने कहा कि आइंस्टीन और हॉकिंग जैसी महान हस्तियों से तुलना किए जाने से अभिभूत हूँ। यह तुलना अकल्पनीय है। मेरा मानना है कि ऐसी महान हस्तियों की श्रेणी में शामिल होने के लिए ढेरों उपलब्धियां हासिल करनी होंगी। वहीं बेटी की सफलता से भाव-विभोर माता-पिता का कहना है कि हम हमेशा से महसूस करते थे कि उसके पास अलौकिक बुद्धि है और मौका दिया जाय तो अपनी बुद्धिमत्ता को वह साबित कर सकती है।

ये जानना दिलचस्प होगा कि मानव-मस्तिष्क का नया छोर बन चुकी काश्मिया शतरंज की बेजोड़ खिलाड़ी हैं और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं। यही नहीं, उसे नेट बॉल खेलना भी पसंद है। अतुलनीय प्रतिभा की धनी भारत की इस बेटी को जगमगाते भविष्य के निमित्त मधेपुरा अबतक की ढेरों शुभकामनाएं।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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