Md. Shahanshah & Soni Raj with other artists of Nawachar Rang Mandal, Madhepura

मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल से प्रशिक्षित मो. शहंशाह ने पेश की एक अदभुत प्रस्तुति..!

टी.पी. कॉलेज के विशाल सभा भवन में ठसमठस भरे दर्शकों के समक्ष मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त मो. शहंशाह ने  मधेपुरा में ‘नवाचार रंग मंडल’ का गठन कर अपनी प्रथम प्रस्तुति – ‘कुमतिनगर का किस्सा’ – का सफल निर्देशन एवं मंचन कर खूब तालियाँ बटोरीं। कार्यक्रम की सफलता हॉल के अन्दर बारम्बार बज रही तालियों की अनुगूंज और बाहर खड़े दर्शकों द्वारा आँकी जाती रही।

संसाधनों की कमी के बावजूद भी हास्यशैली पर आधारित लेखक राजकमल नायककृत  “कुमतिनगर का किस्सा” अपने उद्देश्य में सफल होता है और दर्शकों पर पूरा प्रभाव छोड़ता है।

एक राज्य है कुमतिनगर, जहाँ का राजा अपने राज्य में लोगों के शिक्षित होने पर पाबंदी लगा देता है। फिर भी गुरु की भूमिका निभाने वाले मो. शहंशाह अपने एक शिष्य ‘आनंद’ के साथ कुमतिनगर के लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। आरम्भ में शिष्य ‘आनंद’ गुरु एवं गुरु ग्रन्थ की अनदेखी कर और लोगों को ठग कर बस अच्छा-अच्छा भोजन ग्रहण करने में लग जाता है। इसके बावजूद राजा ‘आनंद’ को कोतवाल बना देता है। दूसरी तरफ शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने वाले गुरु (मो. शहंशाह) पर राजद्रोह करार कर सिर कलम करने की घोषणा कर देता है।

अचानक कोतवाल बने शिष्य ‘आनंद’ का अंतर्मन जागृत हो जाता है। वह गुरु को सूली पर नहीं चढ़ाने के लिए राजा से प्रार्थना करता है। इसी के साथ शिष्य के अंतर्मन में शिक्षा-शिक्षक एवं ग्रन्थ के प्रति सम्मान व संस्कार जाग उठता है। ऐसा लगता है जैसे शिष्य का स्वप्न टूट चुका हो।

Students & Guardians observing Play “Kumati Nagar ka Kissa” in T.P. College Sabha Bhawan
Students & Guardians observing Play “Kumati Nagar ka Kissa” in T.P. College Sabha Bhawan

कालांतर में वह शिष्य ‘आनंद’ अपने गुरु (मो. शहंशाह) के साथ शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अहर्निश इस कदर काम करने लगता है जैसे आधुनिक बिहार के निर्माता अमर स्वतंत्रता सेनानी एवं बिहार के प्रथम विधि मंत्री बाबू शिवनंदन प्र. मंडल के जीवन-दर्शन –

….Not a single soul should remain uneducated on the Earth.

को कुमतिनगर की घरती पर जन-जन तक ले जाने के बाद ही दम लेंगे दोनों। दोनों गुरु-शिष्य मिलकर ज्ञान के तिरस्कार को खत्म करते हैं और विनाश के द्वार को बंद कर देते हैं।

टी.पी. कालेज के विशाल सभागार में “नवाचार रंग मंडल” की प्रथम प्रस्तुति ‘कुमतिनगर का किस्सा’ का उद्घाटन प्रधानाचार्य डॉ. एस.एल.एस. जौहरी, डॉ. मधेपुरी, प्रो. एस. के. यादव, डॉ. जे. पासवान, डॉ. के.डी. यादव, दशरथ प्र. सिंह, ध्यानी यादव आदि ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्वलित कर डॉ. विश्वनाथ विवेका, डॉ. अरुण, प्रो. अद्री, डॉ. अरविन्द एवं रुपेश कुमार आदि की उपस्थिति में किया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य डॉ. जौहरी ने कहा कि कला और संस्कृति जीवन को संस्कारित करती है। जीवन का अहम हिस्सा बनकर उसे आगे बढाती है। मौके पर अन्य वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ भी प्रतिभाओं के सामने बाधा बनकर खड़ा नहीं रह सकता।

वहीँ डॉ. मधेपुरी ने कहा कि मधेपुरा के नाम को रोशन करने वाली प्रतिभाओं के प्रतीक – सोनी, पायल, रियांशी, रवि, हर्षवर्धन सिंह राठौड़, मो. शहंशाह आदि – को आर्थिक मदद देते रहने के लिए वे हमेशा खड़े रहे हैं और भविष्य में भी प्रतिभाओं के रास्ते में पैसे की बाधा को दूर करने के लिए वे हमेशा तत्पर व मुस्तैद रहेंगे। नाटक की सफलता के लिए मो. आतिफ, इमरान, दीपक, राहुल, रवि, बमबम, श्रीकांत, संदीप, कैसर, आनंद, सुमित, निशा, कार्तिक के साथ-साथ गायक रोशन कुमार, अंशु, गुड्डू, प्रिया, कशिश, परवीण आदि ने अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करायी।

वस्त्र-रूप व मंच सज्जा सहित विभिन्न प्रकार के सहयोग के लिए सोनी राज, प्रीति, शिवानी, दिलखुश, अंजलि, आदित्य, शुभम-अमल-मिथुन सहित शहनवाज-शकील एवं उज्ज्वल-हर्षवर्धन-रिजवान-विजय आदि पताका फहराते रहे। मंच संचालन अंशु एवं हर्षवर्धन सिंह राठौड़ ने किया।

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