बाल कल्याण समिति मधेपुरा द्वारा विगत एक्स-मास की छुट्टी में 10 बच्चों को मजदूरी कराने के लिए दिल्ली-पंजाब ले जा रहे गिरोह से छुटकारा दिलाकर उन्हें उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया |
‘Madhepura Abtak’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे घृणित अपराध के तीन ठीकेदारों द्वारा मधेपुरा जिले के विभिन्न गाँवों के दस किशोरों को माँ की ममतामयी छांव से दूर ले जाने का प्लान रचा गया | फलस्वरूप उन दसो-बालकिशोरों –आलमनगर के एक मुकेश कुमार, रतवाड़ा के तीन- ध्रुव-मिथुन-सौरभ कुमार, खुरहान के दो- राधे और रिपन, चिरौरी के कन्हैया, गंगापुर के पवन, मोरसंडा के गौरव कुमार एवं घुरगाँव के रविन्द्र कुमार को वे तीनो घृणित अपराध कर्मी अपने कब्जे में कर लिये |
ये सभी किशोर सरकारी स्कूल के वर्ग 3 से 8 में पढने की बात कहते रहे जिनमें से चार तो मधेपुरा अबतक को स्कूली ड्रेस में ही दिखे | ऐसे उन्मुक्त बचपन को बाल मजदूरी की खाई में गिरने से पहले ही जी.आर.पी. की सूचना पर चाईल्ड लाइन सहरसा के अधिकारियों ने छापेमारी कर अपने कब्जे में ले लिया और माँ-बाप के ममत्व भरे मंदिर में पूजा-अर्चना करने हेतु वापस करने के लिए बाल कल्याण समिति (सी.डब्लू.सी.) सहरसा को हस्तगत करा दिया |
सी.डब्ल्यु.सी के सदस्य डॉ.नरेश रमण एवं अध्यक्ष पूनम कुमारी दास ने मुक्त कराये गये इन बाल मजदूरों की सूचना सहरसा श्रम अधीक्षक को दे दी | बच्चों ने बताया कि बिना अभिभावकों की सहमति के वे इन मानव व्यापारियों द्वारा दिये गये लोभ के कारण उनके साथ जाने को तैयार हुए थे जबकि बच्चों ने ठीकेदारों के नाम तक नहीं जानने की बात स्वीकार की |
सी.बी.आई. के हालिया रिपोर्ट के अनुसार 8 हजार मासूम बच्चियों को दिल्ली के रास्ते दुबई भेजा गया – जिसमें अधिकांश किशोरियों के माता-पिता के बिहार,झारखंड और बंगाल से होने की बात कही गई है | जरा सोचिये तो सही, ममता को तरसता मासूम बच्चा अपने माँ-बाप से अलग होकर कैसे रहता होगा !!