Nitish Kumar & Prashant Kishor

बिहार के बाद ‘मिशन असम’ पर हैं नीतीश और उनके ‘चाणक्य’

बिहार में महागठबंधन की जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले नीतीश के चाणक्य प्रशांत किशोर ने अब असम का रुख किया है। नीतीश ने उन्हें बिहार की तरह असम में भी ‘महागठबंधन’ की सम्भावना तलाशने भेजा है। सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर पिछले सप्ताह असम में थे और उन्होंने असम की पार्टी एआईयूडीएफ के नेता बदरूद्दीन अजमल से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘लम्बी’ बातचीत कराई है।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को असम में बड़ी कामयाबी मिली थी। तब सबको चौंकाते हुए उसने वहाँ की 14 में से 7 लोकसभा सीटें जीत ली थीं। राज्य में भाजपा की बढ़ती ताकत को देख उसे रोकने लिए तमाम विरोधी दल एक होने की जरूरत महसूसने लगे थे पर किसी ‘सम्भावना’ को ठोस आकार नहीं मिल पा  रहा था। बिहार में जेडीयू-राजद-कांग्रेस महागठबंधन की सफलता से इस सम्भावना को आकार और गति देने का फार्मूला मिल गया और उस फार्मूले को जमीन पर उतारने के लिए प्रशांत किशोर जैसा रणनीतिकार भी। लिहाजा राजनीति की नब़्ज पहचानने वाले नीतीश ने अपने ‘चाणक्य’ को ‘मिशन असम’ पर भजने में जरा भी देर नहीं की।

बता दें कि जेडीयू असम में एआईयूडीएफ, असम गण परिषद और कांग्रेस के ‘महागठबंधन’ को आकार देने में लगी है। पार्टी के महासचिव केसी त्यागी का मानना है कि इन दलों के एक साथ आने पर भाजपा को रोकना बहुत आसान होगा।

असम में नीतीश की ‘चहलकदमी’ अप्रत्याशित नहीं है। उनके शपथग्रहण में देश भर के तमाम मोदीविरोधी दलों और दिग्गज नेताओं के जमावड़े ने स्पष्ट कर दिया था कि वो पाँचवीं बार बिहार की सत्ता पाकर ही रुकने वाले नहीं हैं। उनका अगला कदम मोदीविरोधी राजनीति की धुरी बन स्वयं को मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करना होगा। असम से उन्होंने इसी की शुरुआत की है। पश्चिम बंगाल और यूपी पर भी उनकी निगाह बराबर बनी हुई है। ये देखना खासा दिलचस्प होगा कि आँकड़ों के लिहाज से केवल बिहार में राजनीतिक वज़ूद रखनेवाले एक दल का नेता क्या केवल अपनी ‘छवि’ की बदौलत मोदी के राष्ट्रीय कद और भाजपा के राष्ट्रीय नेटवर्क का मुकाबला कर पाएगा..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

सम्बंधित खबरें