सुबह-सवेरे पार्क में टहलते, अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करते, चार लोगों के साथ चाय पीते, ट्रेन या बस में सफर करते या फिर सभाओं और सेमिनारों में हम चाहे जो कह लें, हमारे आज के भारत की रुचि, जिज्ञासा और खोज का चरम बिन्दु सनी लियोनी है। जी हाँ, गूगल ने साल 2015 में सर्वाधिक सर्च किए गए जिन 10 भारतीयों की सूची जारी की है, वो यही कहती है। इस सूची में लगातार चौथे साल शीर्ष पर सनी लियोनी हैं। शीर्ष पर यानि दीपिका पादुकोण और कटरीना कैफ ही नहीं शाहरुख और सलमान से भी ऊपर। यहाँ तक कि एपीजे अब्दुल कलाम और नरेन्द्र मोदी से भी ऊपर। क्या ऐसी सूची जिसमें कलाम और मोदी भी मौजूद हों, किसी ‘सनी लियोनी’ का शीर्ष पर होना यूं ही नज़रअंदाज कर देने वाली बात है..? क्या ये हमारी ‘गिरावट’ और ‘खोखलेपन’ की पराकाष्ठा नहीं..? क्या ये तथ्य आने वाले कल के लिए आपको आशंकित नहीं करता..?
खैर, आगे बढ़ने से पहले आप अपने देश के उन 10 लोगों को जानें जिन्हें 2015 में गूगल पर सबसे अधिक खोजा गया। क्रमानुसार वे 10 नाम हैं – सनी लियोनी, सलमान खान, एपीजे अब्दुल कलाम, कटरीना कैफ, दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान, यो यो हनी सिंह (रैप गायक), काजल अग्रवाल (तमिल और तेलुगु फिल्म एक्ट्रेस), आलिया भट्ट और नरेन्द्र मोदी। 2014 के टॉप 10 थे – सनी लियोनी, नरेन्द्र मोदी, सलमान खान, कटरीना कैफ, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, प्रियंका चोपड़ा, शाहरुख खान, पूनम पांडेय (सनी लियोनी की तरह ‘बोल्ड’ मॉडल और एक्ट्रेस) और विराट कोहली। 2013 का क्रम था – सनी लियोनी, सलमान खान, कटरीना कैफ, दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान, यो यो हनी सिंह, काजल अग्रवाल, करीना कपूर, सचिन तेन्दुलकर और पूनम पांडेय। अब एक निगाह 2012 की 10 शख्सियतों पर। वे थीं – सनी लियोनी, राजेश खन्ना, पूनम पांडेय, आलिया भट्ट, निर्मल बाबा, शर्लिन चोपड़ा (‘प्लेब्वॉय’ मैगजीन में न्यूड पोज देनेवाली पहली भारतीय मॉडल और एक्ट्रेस), यश चोपड़ा, सैफ अली खान, डायना पेंटी (शीर्ष इतालवी और भारतीय डिजाइनर्स के लिए रैम्प पर चलनेवाली मॉडल और एक्ट्रेस) और विलासराव देशमुख।
चार सालों की सूची आपके सामने है। ‘भारतरत्न’ कलाम केवल 2015 में इस सूची में हैं यानि जिस साल वे दिवंगत हुए। 2012 में राजेश खन्ना, यश चोपड़ा और विलासराव देशमुख को गूगल पर खोजे जाने का कारण भी उस वर्ष इन हस्तियों का गुजर जाना रहा। मोदी की जगह 2014 में बनी जब वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित हुए और बने भी। लेकिन 2014 में वे दूसरे पायदान पर थे और इस साल दसवें स्थान पर। क्रिकेट के भगवान सचिन तेन्दुलकर भी केवल 2013 की सूची में दिखे जिस साल उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया। 2012 में अगर निर्मल बाबा हैं तो उस वर्ष विवादों और आरोपों में घिरे होने के कारण। भारत में फिल्मों का क्रेज देखते हुए शाहरुख, सलमान, दीपिका, कटरीना जैसों का होना ज्यादा चौंकाता नहीं। लेकिन 2012 में इनमें से किसी की जगह सूची में नहीं बनी। केवल एक नाम है जो ना केवल इन चारों सालों में रहा बल्कि शीर्ष पर रहा – सनी लियोनी। आखिर कौन हैं ये सनी लियोनी..?
‘बिग बॉस 5’ में आने से पहले शायद ही कोई आम भारतीय करेनजीत कौर वोहरा उर्फ करेन मल्होत्रा उर्फ सनी लियोनी नाम की इस 34 वर्षीया इंडो-कनाडाई पॉर्न एक्ट्रेस से वाकिफ होगा। कभी ‘सारांश’ जैसी फिल्म देनेवाले और अब ‘राह’ भटक चुके निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट को सनी लियोनी में ‘संभावना’ दिखी और उन्होंने बिग बॉस शो के दौरान ही सनी से बाकायदा मुलाकात की और फिल्म का ऑफर दिया। ‘जिस्म-2’ से इस एडल्ट स्टार का बॉलीवुड करियर शुरू हुआ और आगे चलकर ‘रागिनी एमएमएस-2’, ‘जैकपॉट’ और ‘एक पहेली लीला’ जैसी फिल्में आईं। सनी ने टीवी शो ‘स्पिलट्सविला’ भी होस्ट किया। उनकी ताजा फिल्म ‘मस्तीजादे’ रिलीज होने से पहले ही चर्चा और विवादों में है।
आज भले ही सनी लियोनी फिल्म और टेलीविजन की दुनिया का पहचाना हुआ नाम हो लेकिन उनकी ‘ख्याति’ की असली ‘वजह’ कुछ और है। आज हर वो शख़्स उस ‘वजह’ को जानता है जो सनी लियोनी के नाम से वाकिफ है। वही ‘वजह’ सनी लियोनी के लगातार चार सालों से गूगल के शीर्ष पर रहने की ‘वजह’ भी है। आप अगर सनी लियोनी की ‘तलाश’ को ‘मनोरंजन’ का नाम देना चाहते हैं तो जान लीजिए कि किसी भी समय किसी भी समाज में किसी ‘सनी लियोनी’ ने किसी का ‘मनोरंजन’ नहीं किया है। वास्तव में वे हमारी ‘कुंठा’ या ‘भूख’ का प्रतिबिम्बमात्र होती हैं। इसी ‘कुंठा’ और ‘भूख’ को मिटाने के लिए पुरुषों ने हर युग में स्त्री को ‘प्रोडक्ट’ बनाने की कोशिश की है। बदलते समय के साथ वो बड़ी चालाकी से उस प्रोडक्ट की पैकेजिंग और उसे पेश करने का तरीका बदल देता है। आप गौर से देखिए, आज वही ‘प्रोडक्ट’ सनी लियोनी के रूप में सामने है और उसे पेश करने के लिए इंटरनेट और गूगल जैसे नए माध्यम हैं।
हाँ, सदियों से चले आ रहे इस सिलसिले में एक बड़ा फर्क ये आया है कि अब वो ‘प्रोडक्ट’ खुद भी अपनी ‘मार्केटिंग’ करने लगा है और संचार-क्रांति के दौर में उसका असर पहले से कहीं अधिक व्यापक और गहरा हो चला है। 2015 को छोड़ पीछे के तीन सालों की टॉप 10 सूची में सनी लियोनी के अतिरिक्त पूनम पांडेय की मौजूदगी इसी ‘मार्केटिंग’ का परिणाम है। कभी ‘शून्य’ को खोजने वाला देश आज भोगवाद के ‘शून्य’ में खोता जा रहा है। बुद्ध, विवेकानंद और गांधी अपने ही देश में बिसराए जा रहे हैं। हम जब तक अपनी जड़ों की ओर नहीं लौटेंगे गूगल पर हमारी ‘खोज’ में एपीजे अब्दुल कलाम और नरेन्द्र मोदी किसी ना किसी ‘सनी लियोनी’ से पिछड़ते रहेंगे।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप