Dr.Bhupendra Madhepuri and others attending meeting on media ethics at Madhepura

“मीडिया: सत्ता और स्वायत्तता” पर विचार-गोष्ठी

रविवार, 21 जून 2015 को डी.आर.डी.ए., मधेपुरा के झल्लू बाबू सभागार में युवा पत्रकार विनय तरुण की स्मृति में “मीडिया : सत्ता और स्वायत्तता” विषय पर देश के विभिन्न राज्यों के मीडियाकर्मियों के संगठन ‘दस्तक’ की ओर से एकदिवसीय गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता थे वरिष्ठ मीडिया विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता श्री अनिल चमड़िया। श्री चमड़िया ने विस्तार से मीडिया की स्वायत्तता और मीडिया के ऊपर सत्ता के विभिन्न रूपों के महीन अंकुशों पर प्रकाश डाला। उपस्थित प्रबुद्धजन एवं मीडियाकर्मी देर तक उन्हें सुनते रहे।

वरिष्ठ पत्रकार श्री अखलाख की अध्यक्षता में पटना की पत्रकार सायना सहित भागलपुर, राँची, मुजफ्फरपुर एवं अन्य शहरों से आए हुए मीडियाकर्मियों के साथ-साथ मधेपुरा के मीडियाकर्मियों ने विस्तार से अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इनके अतिरिक्त बी.एन. मंडल विचार मंच के अध्यक्ष प्रो. श्यामल किशोर यादव, सचिव डॉ. आलोक कुमार एवं कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सचिव व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी सहित गजलगो शंभूशरण भारतीय, सिंडिकेट सदस्य (बीएनएमयू) डॉ. जवाहर पासवान, मधेपुरा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार, हर्षवर्द्धन, आनन्द, राहुल आदि उपस्थित थे।

अध्यक्ष मंडल के सदस्य डॉ. मधेपुरी ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में सूचना क्रांति एवं तकनीकी विस्तार के चलते मीडिया की व्यापकता में वृद्धि तो हुई है परन्तु भूमंडलीकरण के इस दौर में बाजारीकरण की प्रक्रिया भी उसी अनुपात में तेज हुई है। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया सामाजिक सरोकारों से दूर होता जा रहा है और इस उपभोक्तावादी युग में खबरों को भी उत्पाद बना दिया गया है। अन्त में डॉ. मधेपुरी ने विनय तरुण को स्मरण करते हुए उन्हें जन्म देनेवाले माता-पिता को नमन किया। श्रद्धांजलिस्वरूप उनकी एक गजल – कहाँ जन्मे सुनो हम नहीं जानते, कब मरेंगे कहाँ हम नहीं जानते  – सुनकर कितनी आँखें नम हो गईं इसे सायना ने रोकर बता दिया।

भोजनोपरान्त दूसरे सत्र में इस कार्यक्रम हेतु स्थल तथा इसके विस्तारीकरण सहित अन्य सुझावों पर विस्तार से चर्चा हुई। व्यवस्थापक के रूप में प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ श्री रूपेश कुमार सभी के प्रशंसापात्र बने रहे। अध्यक्षीय भाषण के साथ अखलाख साहब ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की।

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