भारतीय जन लेखक संघ द्वारा सुकवि ‘सुधाकर’ के लिए आयोजित सम्मान समारोह का उद्घाटन किया प्रो.दयानन्द और अध्यक्षता की भू.ना.मंडल वि.वि. के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.इन्द्र ना.यादव ने |
संघ के महासचिव महेन्द्र ना.पंकज, सचिव सुरेन्द्र भारती, पश्चिम बंगाल के आलोक सुन्दर सरकार, प्रो.सीताराम शर्मा, प्रो.नारायण कुमार, ई.हरिश्चन्द्र मंडल, प्रमोद कुमार सूरज, डॉ.विनय कुमार चौधरी आदि की सहभागिता से- “साहित्य में दलित एवं पिछड़ो के अस्तित्व” विषयक परिचर्चा पर गहराई से विमर्श हुआ |
साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कौशिकी के अद्यक्ष व सुधाकर जी के काव्य-गुरु हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ की चर्चा करते हुए सुकवि ‘सुधाकर’ को पुष्प गुच्छ अर्पित कर सम्मानित किया और परिचर्चा के विषयानुरूप स्वरचित ग्रन्थ- ‘इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल’ भेंट करते हुए परिचर्चा को सर्वाधिक गंभीर भी बना दिया | अन्त में डॉ.मधेपुरी ने कहा कि जब भी वे उत्तर दिशा की ओर नजर उठाते हैं तो हिमालय की तरह अडिग और स्थितप्रज्ञ होकर साहित्य सृजन करते हुए नजर आते हैं- तारानन्दन तरुण और सुबोध कुमार सुधाकर एवं हिमालय की सबसे ऊँची चोटी एवेरेस्ट पर भारतीय तिरंगा को फहराती हुई नजर आती है- देश की बेटी संतोष यादव |
दूसरे सत्र में प्रखर गीतकार एवं क्षणदा के संपादक ‘सुधाकर’जी, जिन्होंने साहित्यिक सम्मान के रूप में राष्ट्रभाषा रत्न, साहित्य रत्न, काव्य प्रवीण तथा संपादकश्री आदि अर्जित किया है, के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें फर्जी हास्य कवि डॉ.अरुण कुमार, राकेश कुमार द्विजराज, धर्मेन्द्र कुमार आनन्द, प्रतिभा कुमारी, मो.अबरार आलम, उल्लास मुखर्जी, डॉ.नारायण, शम्भुनाथ अरुणाभ, संतोष सिन्हा, भूपेन्द्र यादव, डॉ.विनय कुमार चौधरी, डॉ.मधेपुरी आदि ने अपनी रचनाओं से ऐसा समां बंधा कि कार्यक्रम के दोनों सत्रों में सात घंटे कैसे निकल गये, किसी को पता भी नहीं चला |