आरजेडी में आजकल ‘आवाज़’ खूब उठ रही है और लालूजी बड़ी तन्मयता से उन आवाजों को सुन भी रहे हैं। कार्यकर्ताओं की ‘आवाज़’ इतने दिल से निकलती है कि कई बार तो लालूजी तक बिना बोले ही पहुँच जाती है। पहले उनकी पार्टी में ‘आवाज़’ उठी कि दोनों ‘तेज’ को राजनीति में लाओ, लालूजी ले आए। फिर ‘आवाज़’ उठी कि दोनों को सरकार में लाओ और तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनाओ, लालूजी ने बहुत ध्यान से सुना और बिल्कुल ऐसा ही किया। ‘आवाज़’ आने का सिलसिला और तेज हुआ। इस बार ‘आवाज़’ उठी कि तेजस्वी को विधायक दल का नेता भी बना दो और साथ में माँ राबड़ी को विधान मंडल दल की कमान सौंप दो, लालूजी ने दरियादिली दिखाते हुए ये दोनों काम भी कर दिया। पर ‘आवाज़’ है कि रुकती ही नहीं। लालूजी करें तो क्या करें..? अब फिर ‘आवाज़’ उठने लगी है कि बेटी मीसा के हाथ में पार्टी की बागडोर दे दो। लगता है लालूजी को इस बार भी ‘आवाज़’ सुननी ही पड़ेगी।
वैसे राजनीति में इस तरह की ‘आवाज़’ उठना कोई नई बात नहीं। नेहरू-गाँधी परिवार को तो ऐसी आवाज़ सुनने में महारत हासिल है। कई पीढ़ियों से वो ऐसी ‘आवाज़’ सुनता आ रहा है। देखा जाय तो आज़ादी से लेकर अब तक इस तरह की ‘आवाज़’ सुनने वालों की लम्बी फेहरिस्त है। जो अब नहीं हैं उनकी बात ना भी करें, तो भी सूची छोटी होने से रही। जो ‘आवाज़’ लालूजी सुन रहे हैं, ठीक वैसी ही ‘आवाज़’ मुलायम सिंह यादव, प्रकाश सिंह बादल, ओमप्रकाश चौटाला, वसुंधरा राजे सिंधिया, करुणानिधि, फारूख अब्दुल्ला, मुफ्ती मोहम्मद सईद, शिबू सोरेन, रामविलास पासवान, यशवंत सिन्हा जैसे कितने ही नेताओं ने सुनी हैं। ना तो कोई दल अपवाद है, ना कोई राज्य।
बहरहाल, सूत्रों की मानें तो लालू प्रसाद यादव अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को बिहार आरजेडी का अध्यक्ष बनाने जा रहे हैं। पार्टी के अन्दर ये मांग ‘जोरशोर’ से उठने लगी है कि उन्हें ‘बड़ी’ भूमिका में लाया जाय। लालू के खासमखास रहे इलियास हुसैन ने बाकायदा आरजेडी सुप्रीमो से मांग की है कि मीसा को प्रदेश का नेतृत्व सौंपा जाय। युवाओं को जिम्मेदारी देने का अभी ‘सही’ वक्त है। यही नहीं, मीसा को जिम्मेदारी देने से पार्टी ‘सही’ दिशा में काम करेगी। गौरतलब है कि इलियास हुसैन आरजेडी सरकार में पहले मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वे विधायक हैं और साथ में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी।
मीसा भारती पिछले लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव (बीजेपी) के हाथों चुनाव हार गई थीं। इसके बावजूद पार्टी के तमाम कार्यक्रमों में वो लगातार सक्रिय रहीं। इस बार के विधानसभा चुनाव में तो वो ‘स्टार प्रचारक’ थीं। सोशल मीडिया पर भी उनकी भरपूर मौजूदगी देखी जा सकती है। अभी बीते चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें ‘बेचारी’ क्या कह दिया था, मीसा ने विरोध में पूरा अभियान छेड़ दिया।
वैसे एक सम्भावना ऐसी भी है कि मीसा को आरजेडी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाय। ऐसा करने से ना केवल उनकी भूमिका और बड़ी हो जाएगी, बल्कि प्रदेश स्तर पर किसी को ‘एडजस्ट’ भी किया जा सकेगा। लालू ने अपने दोनों ‘लाल’ को बिहार ‘सम्भालने’ के लिए तैनात कर ही दिया है। अब बच जाता है केन्द्र। तो उसके लिए मीसा ‘पापा’ की पहली पसंद होंगी। राजनीति के जानकार निकट भविष्य में मीसा का राज्यसभा जाना तय मान रहे हैं।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप