Absurd Monsoon at Madhepura

हाय रे गिरगिटिया मानसून..!

जहाँ देश के दक्षिणी भाग मुंबई में बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त है वहीं देश के उत्तरी किनारे के राज्य बिहार के कोशी प्रमंडल के जिलों खासकर मधेपुरा में किसान कमजोर मानसून को लेकर बेहद चिन्तित हैं। स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि नदियां सिमटकर नाले का रूप ले चुकी हैं। नहरें या तो क्षतिग्रस्त हैं या उनमें बालू और गाद भरे हैं। नहरों की सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं इसके बावजूद वे इस लायक नहीं कि उनसे सामान्य सिंचाई की जा सके। ज्यादातर राजकीय नलकूप भी दयनीय स्थिति में हैं। ऐसे में इस इलाके के किसानों के पास फसल की सिंचाई के लिए प्रकृति पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

आज 21 जून है पर बारिश की बूँदों की जगह आसमान से आग बरस रही है। मौसम विभाग के अनुसार बिहार में मानसून के दर्शन 24 तारीख से हो सकते हैं। इस बीच सरकार ने सभी जिलों के डी.एम. को सिंचाई की सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दे दिया है। फलस्वरूप नहर, कुएँ, नलकूप आदि स्रोतों से पानी उपलब्ध कराने की कवायद शुरू कर दी गई है।

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