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क्या मीसा उपमुख्यमंत्री, तेजप्रताप कैबिनेट मंत्री और तेजस्वी होंगे राजद के कार्यकारी अध्यक्ष..?

बिहार चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। “महागठबंधन या एनडीए” का सस्पेंस खत्म हो चुका है। महागठबंधन के जीतने पर नीतीश का मुख्यमंत्री होना तय था और अब तो उनके शपथ-ग्रहण का दिन और समय भी निश्चित हो चुका है। 20 नवम्बर को दोपहर दो बजे नीतीश पाँचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हैं कि नीतीश के ठीक बाद शपथ लेने कौन जाएगा यानि कौन होगा बिहार का उपमुख्यमंत्री..? ये सवाल कितना मुश्किल है, कोई जाकर लालू से पूछे… जिन्हें यह ‘यक्षप्रश्न’ सुलझाना है।

बिहार में इस वक्त केवल यही चर्चा है कि लालू किसे और किस वजह से चुनेंगे..? मजे की बात तो यह है कि लोग इसी सवाल के जवाब में दूसरे बड़े सवाल का जवाब भी ढूँढ़ लेते हैं कि कौन होगा लालू का उत्तराधिकारी..? यानि लोग ये मानकर चल रहे हैं कि जो उपमुख्यमंत्री होगा, वही लालू का उत्तराधिकारी भी होगा। लेकिन देखा जाय तो दूसरा सवाल पहले सवाल से भी ज्यादा कठिन है और मौजूदा हालात में अधिक सम्भावना इसी बात की है कि लालू उपमुख्यमंत्री और उत्तराधिकारी दो अलग लोगों को बनाएं और वे दोनों उन्हीं के परिवार से हों।

लालू की पार्टी में पुराने और वफादार लोग कई हैं लेकिन उनमें खुद को उपमुख्यमंत्री पद का ‘दावेदार’ कहने की स्थिति में कोई भी नहीं। महागठबंधन की इतनी बड़ी जीत और उस जीत में लालू की बड़ी भूमिका के बाद तो हरगिज नहीं। हालांकि इस पद के लिए पार्टी से एक नाम की खूब चर्चा है और वो नाम अब्दुल बारी सिद्दीकी का है। सिद्दीकी वरिष्ठ हैं, लालू के विश्वासपात्र हैं और उनके ‘माय’ समीकरण को पूरा भी करते हैं। लेकिन लालू उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने की ‘उदारता’ दिखा पाएंगे इसकी उम्मीद कम है। हाँ, ‘भरपाई’ के लिए लालू उन्हें विधान सभा का अध्यक्ष जरूर बनवा सकते हैं। उदय नारायण चौधरी के चुनाव हार जाने के बाद जेडीयू को भी इसमें विशेष कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

अब सवाल उठता है कि सिद्दीकी नहीं तो कौन..? सिद्दीकी के अलावे उपमुख्यमंत्री के तौर पर तीन और नाम चर्चा में हैं और वे तीनों लालू के परिवार से हैं। राघोपुर से विधायक बने तेजस्वी, महुआ से चुने गए तेजप्रताप और राजनीति में पहले से ‘सक्रिय’ लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती। रही बात उत्तराधिकारी की तो ये तय है कि वो उनके परिवार से होगा और उनका बेटा होगा। पप्पू यादव द्वारा उठाए गए ‘उत्तराधिकार’ के मुद्दे पर लालू यह पहले ही साफ कर चुके हैं।

उपमुख्यमंत्री पद के लिए मीसा का नाम आना ‘अकारण’ नहीं है। मीसा को इस पद पर बिठाकर लालू के एक पंथ कई काज हो जाएंगे। पहला कि ये कुर्सी उनके परिवार में आ जाएगी, दूसरा उनके दोनों बेटों के बीच अघोषित पर सम्भावित ‘टकराव’ टल जाएगा और तीसरा महिलाओं में एक बड़ा संदेश दिया जा सकेगा जिन्होंने जी खोलकर महागठबंधन को वोट दिया है। लालू ये बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि महिलाओं ने नीतीश को देखकर वोट दिया है। मीसा को आगे कर वो राजद की पैठ भी महिलाओं में बना सकते हैं और उनसे चिपका ‘जंगलराज’ का दाग भी बहुत हद तक धुल सकता है। हालांकि मीसा अभी किसी सदन की सदस्य नहीं हैं लेकिन विधान परिषद् जाते उन्हें कितनी देर लगेगी भला।

रही बात तेजप्रताप और तेजस्वी की तो यह स्पष्ट हो चुका है कि तेजस्वी में लालू और उनकी पार्टी दोनों ही सम्भावना देख रहे हैं। चुनाव के दौरान राघोपुर में तेजस्वी के लिए वोट मांगने के क्रम में लालू ने इसका संकेत भी दे दिया है। तेजस्वी राजद के युवा चेहरे के तौर पर उभरे हैं और तेजप्रताप की तुलना में राजनीतिक रूप से अधिक ‘परिपक्व’ भी दिखते हैं। अगर तेजस्वी लालू के एकमात्र बेटे होते तो उनका उपमुख्यमंत्री और उत्तराधिकारी दोनों होना तय होता। लेकिन तेजप्रताप ना केवल उनसे बड़े हैं और उन्हीं की तरह बाकायदा चुनाव जीतकर आए हैं बल्कि माँ राबड़ी के चहेते भी हैं। लालू के नजदीकी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि लालू का ‘सॉफ्ट कॉर्नर’ छोटे बेटे तेजस्वी के लिए है तो राबड़ी का बड़े बेटे तेजप्रताप के लिए। दोनों भाईयों के बीच लालू के सालों साधु और सुभाष वाली ‘प्रतिद्वंद्विता’ टालने के लिए भी मीसा को आगे किया जा सकता है।

ऊपर के विश्लेषण के बाद जरा देखें कि लालू के पास मीसा, तेजप्रताप और तेजस्वी को लेकर कौन-कौन से विकल्प हैं..? पहला, मीसा को उपमुख्यमंत्री बनाया जाय और तेजप्रताप-तेजस्वी दोनों को कैबिनेट में जगह दी जाय। इस पर शायद नीतीश आपत्ति करें। दूसरा, तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाया जाय और तेजप्रताप को कैबिनेट में लिया जाय। इस पर तेजप्रताप और मीसा दोनों ‘रूठ’ जाएंगे। तीसरा, मीसा को उपमुख्यमंत्री बनाया जाय, तेजप्रताप को कैबिनेट में भेजा जाय और पार्टी की बागडोर तेजस्वी के हाथ में सौंपी जाय उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर। यानि उत्तराधिकार तेजस्वी को मिले, उपमुख्यमंत्री का पद भाई-बहनों में सबसे बड़ी मीसा को और तेजप्रताप भी असंतुष्ट ना रहे।

ये भी सम्भव है कि मीसा-तेजप्रताप-तेजस्वी की भूमिका आपस में बदल जाय लेकिन इतना तय है कि लालू और राबड़ी ना तो इन तीनों में से किसी को किनारे कर सकते हैं और ना ही तीनों को एक साथ सरकार या संगठन में जगह दे सकते हैं। ऐसे में किन्हीं दो को सरकार में और एक को पार्टी में बड़ा यानि ‘नेक्स्ट टू लालू’ का पद देकर ‘परिवार’ की समस्या हल की जा सकती है।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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