Lalu & Pappu

पाँचवें चरण में ‘माय’ की माया… किसके हिस्से में धूप, किसे मिलेगी छाया..?

बिहार चुनाव का आज पाँचवां और अंतिम चरण है। मतदान केन्द्रों पर लम्बी कतारें लगी हैं। शाम के 5 बजते ही न्यूज चैनलों पर एक्जिट पोल, विश्लेषण और मंथन का दौर शुरू हो जाएगा। नेता हों, कार्यकर्ता हों या आम जनता – सबकी निगाहें 8 नवंबर पर टिक जाएंगी। राजनीति के गलियारों में सम्भावनाओं और समीकरणों को लेकर गहमागहमी शुरू हो जाएगी। नई सरकार किसकी होगी, उस सरकार में कौन-कौन से चेहरे होंगे, किसका कद बुलंदियों पर होगा और कौन अपनी खोई साख को रोएगा – अब बातें इसी पर होंगी। फिलहाल एक नज़र पाँचवें चरण की खास बातों पर डालें।

पाँचवें चरण में नौ जिलों की 57 सीटों पर मतदान हो रहा है। सीमांचल और मिथिलांचल के ये नौ जिले हैं – मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा ( Madhepura ) , सहरसा और दरभंगा। 57 सीटों के लिए 58 महिलाओं सहित कुल 827 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनके भाग्य का फैसला एक करोड़ 55 लाख 36 हजार 660 मतदाता करेंगे। मतदान केन्द्रों की कुल संख्या 14061 है जिनमें 5518 ‘क्रिटिकल’ और 276 नक्सल प्रभावित केन्द्र हैं।

इस चरण में बिहार कैबिनेट के कई मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। बिजेन्द्र प्रसाद यादव (सुपौल), नरेन्द्र नारायण यादव (आलमनगर), लेसी सिंह (धमदाहा), बीमा भारती (रूपौली), नौशाद आलम (ठाकुरगंज) और दुलालचंद गोस्वामी (बलरामपुर) की किस्मत आज ईवीएम में बंद हो जाएगी। इस चरण के अन्य दिग्गज उम्मीदवारों में बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी (अलीनगर), पूर्व मंत्री एवं जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्रा (झंझारपुर), एआईसीसी के सचिव शकील अहमद खान (कदवा), बिहार भाजपा के मुख्य प्रवक्ता विनोद नारायण झा (बेनीपट्टी), पूर्व सांसद एवं जदयू के उम्मीदवार दिनेश चन्द्र यादव (सिमरी बख्तियारपुर), पूर्व मंत्री एवं इस बार भाजपा के उम्मीदवार रवीन्द्र चरण यादव (बिहारीगंज), लालू यादव के बेहद खास भोला यादव (बहादुरपुर) एवं एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान (कोचाधामन) प्रमुख हैं।

2010 में इस चरण की 57 सीटों में 24 जेडीयू, 20 भाजपा, 8 राजद और 5 कांग्रेस के खाते में गई थीं। बदले समीकरणों के तहत इस बार एनडीए की ओर से भाजपा के 38, लोजपा के 11, रोलोसपा के 5 और ‘हम’ के 3 उम्मीदवार मैदान में हैं। महागठबंधन की ओर से जेडीयू के 25, राजद के 21 और कांग्रेस के 11 उम्मीदवार खड़े हैं। इन दोनों गठबंधनों के अतिरिक्त पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के 40 और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 6 उम्मीदवार भी मैदान में हैं।

बिहार में बहुचर्चित ‘माय’ समीकरण के लिहाज से पाँचवां चरण खासा महत्वपूर्ण है। इस ‘माय’ समीकरण को लालू ने और लालू को ‘माय’ समीकरण ने एक अलग पहचान दी और इस बार इस समीकरण के चलने की जरूरत लालू (और उनके महागठबंधन के लिए) हर बार से ज्यादा है । अगर पप्पू और ओवेसी कई सीटों पर मुकाबले को तिकोना ना बना रहे होते तो लालू-नीतीश के महागठबंधन के लिए यह सबसे ‘सुरक्षित’ चरण था। उदाहरण के तौर पर मधेपुरा ( Madhepura )सीट को लें। ‘माय’ समीकरण को ध्यान में रख शायद ही इससे अनकूल कोई सीट महागठबंधन के लिए हो। लेकिन पप्पू के उम्मीदवार के भरोसे भाजपा इस सीट पर भी खुद को मुकाबले में ले आई है।

पाँचवें चरण में पप्पू यादव और असदउद्दीन ओवैसी (खासकर पप्पू यादव) अगर बड़े ‘वोटकटवा’ साबित नहीं हुए तो महागठबंधन के लिए विशेष चिन्ता की बात नहीं। लेकिन एनडीए ने महागठबंधन के ‘गढ़’ में सेंधमारी कर दी है, इससे हरगिज इनकार नहीं किया जा सकता। हाँ, ये सेंधमारी कितनी बड़ी है ये हम 8 नवंबर को जान पाएंगे। इसी ‘सेंधमारी’ पर सीमांचल, मिथिलांचल और ‘माय’ समीकरण की राजनीतिक दिशा तय होगी और कदाचित् बिहार की राजनीतिक दिशा भी।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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