बिहार चुनाव का चौथा चरण भी पूरा हुआ। इस चरण में सात जिलों की 55 सीटें दांव पर थीं। ये सात जिले हैं मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चरण, सीतामढ़ी, शिवहर, गोपालगंज और सीवान। इन 55 सीटों के साथ ही कुल 186 सीटों के लिए मतदान हो चुका है। पाँचवें चरण में बाकी बची 57 सीटों के लिए मतदान होना है।
चौथे चरण में मतदान का प्रतिशत 58.3 रहा। पश्चिमी चम्पारण जिले में सर्वाधिक 60.56 प्रतिशत तो सीवान में सबसे कम 54 प्रतिशत मतदान हुआ। 55 सीटों के लिए उम्मीदवारों की कुल संख्या 776 थी, जिनमें 57 महिलाएं हैं। मतदाताओं की कुल संख्या थी 1,46,93,294 और उनके लिए कुल 14,139 मतदान केन्द्र बनाए गए थे। पिछले तीन चरणों की तरह इस चरण में भी महिला मतदाताओं की लम्बी कतारें देखी गईं।
इस चरण की सबसे खास बात ये है कि 2010 में इन 55 सीटों में 50 सीटें जेडीयू-भाजपा गठबंधन के हिस्से में गई थीं। जेडीयू ने 24 और भाजपा ने 26 सीटें जीती थीं। शेष 5 सीटों में 2 राजद और 3 निर्दलीय के खाते में गई थीं। इस बार परिदृश्य एकदम बदल गया है। पिछली बार साथ रहकर जबरदस्त सफलता हासिल करने वाली जेडीयू और भाजपा इस चुनाव में आमने-सामने है।
इस बार इन 55 सीटों पर महागठबंधन की ओर से जेडीयू के 21, राजद के 26 और कांग्रेस के 8 उम्मीदवार मैदान में हैं। एनडीए की ओर से भाजपा ने 42, लोजपा ने 5 और ‘हम’ व रोलोसपा ने 4-4 उम्मीदवार उतारे हैं। इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में वरिष्ठ मंत्री रमई राम (बोचहां), राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे (परिहार), भाजपा नेता सुनील पिन्टू (सीतामढ़ी) तथा ‘हम’ के महाचन्द्र प्रसाद सिंह (हथुआ) और लवली आनंद (शिवहर) शामिल हैं।
भाजपा के लिहाज से यह चरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अगर वो इस चरण की सीटों पर 2010 जैसा प्रदर्शन दोहराने में सफल रही तो महागठबंधन के लिए ये खतरे की घंटी हो सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और एनडीए ने इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। गौर करने की बात है कि चौथे चरण में पिछले तीन चरणों की तुलना में 4.04 प्रतिशत मत ज्यादा पड़े। पिछले चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर इस इजाफे को भाजपा और एनडीए अगर अपने पक्ष में कह रहे हैं तो कम से कम परिणाम आने तक इसे झुठलाना सम्भव नहीं। इतना तय है कि अलग होकर जेडीयू और भाजपा ने क्या खोया, क्या पाया… कौन कितने फायदे में रहा और किसने नुकसान उठाया… चौथा चरण इस बात की सबसे बड़ी गवाही देगा।
पुनश्च:
लोकतंत्र के प्रति आस्था और कर्तव्यबोध का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला इस चौथे चरण में। बैकुंठपुर विधान सभा क्षेत्र के महम्मदपुर थाने के हकाम गांव में रहने वाले गफार मियां ने अपने 40 वर्षीय बेटे मोहम्मद हजरत के शव को दफनाने से पहले परिवार सहित जाकर मतदान किया। मोहम्मद हजरत की मृत्यु एक संक्रामक बीमारी से शनिवार रात को ही हो गई थी। रविवार की सुबह पड़ोसी और गांव वाले हजरत के शव को दफनाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन मृतक के पिता ने कहा कि सभी चलकर पहले मतदान करें, उसके बाद कब्रिस्तान चलने की तैयारी करें। सबने ऐसा ही किया और मतदान के बाद मिट्टी देने की रस्म शुरू की गई। मधेपुरा ( Madhepura ) अबतक श्रद्धा और प्रेरणा से भर देने वाले गफार मियां के इस जज्बे को सलाम करता है।
मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप