Narendra Modi

‘मंडल’ के मधेपुरा में ‘मोदी’ का मतलब

भारतीय राजनीति के ‘मंडल युग’ का जनक मधेपुरा… महागठबंधन का ‘गढ़’ माना जाने वाला मधेपुराआज साक्षी बना मोदी की झलक पाने को बेताब अपार जनसमूह का। जी हाँ, आज प्रधानमंत्री मोदी ने मधेपुरा में एक बड़ी रैली की। उनके साथ थे पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व ‘हम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी। रैली भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नए परिसर में थी जहाँ प्रधानमंत्री दिन के 1.30 बजे आए। पूरा मधेपुरा  आज मोदीमय दिखा। ये सही है कि भीड़ से वोट को नहीं आंका जा सकता लेकिन जनमानस पर उनका क्या असर है, ये बताने के लिए मधेपुरा की आज की आबोहवा काफी थी।

गुजरात का ‘शेर’ आज नीतीश-लालू-शरद के ‘गढ़’ में गरज रहा था। उन्होंने कहा कि 25 साल से यहाँ बड़े भाई और छोटे भाई की सरकार थी लेकिन वे बिहार से पलायन को नहीं रोक सके। जनता इस बार इसका हिसाब ले। मोदी ने कहा कि जब बिहार में भाजपा सरकार में साथ थी तब राज्य में 17 हजार 500 करोड़ का निवेश हुआ लेकिन भाजपा के हटते ही यह घटकर महज छह हजार करोड़ रह गया।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश को निशाने पर लेते हुए कहा कि पिछली बार उन्होंने कहा था कि अगर बिजली नहीं पहुँचाऊंगा तो वोट मांगने नहीं आऊँगा लेकिन अपना वादा पूरा किए बिना वो वोट मांगने आ गए। उन्होंने कहा कि इस बार अगर बिहार में एनडीए की सरकार आई तो उन चार हजार गाँवों में बिजली पहुँचाने का काम पूरा किया जाएगा जहाँ नीतीश सरकार बिजली नहीं पहुँचा सकी।

नरेन्द्र मोदी ने इस इलाके की समस्या को ‘पानी’ और ‘जवानी’ से जोड़ा। उन्होंने कहा कि यहाँ ‘पानी’ और ‘जवानी’ दोनों को बर्बाद किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि बिहार में कोशी के पानी का उपयोग मछलीपालन के लिए किया जाय तो मछली का आयात कम होगा और लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेगा। बिहार में संसाधन होते हुए भी उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने खास अंदाज में “पढ़ाई, कमाई और दवाई” के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई और लोगों से बढ़-चढ़कर चुनाव में हिस्सा लेने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के लोग 8 नवंबर को दिवाली मनाएंगे और पूरा देश 11 नवंबर को दिवाली मनाएगा।

स्पष्ट है कि 8 नवंबर को दिवाली मनाने से मोदी का मतलब एनडीए की सरकार बनने से है। मोदी के मन से बिहार में दिवाली मनती है या नहीं, ये तो आने वाला समय बताएगा लेकिन जो धरती ‘स्वभाव’ और ‘संस्कार’ से समाजवादियों की रही है, जिस इलाके में कल तक भाजपा की कोई पैठ नहीं थी, जहाँ जातिगत समीकरण भी एनडीए के लिए बहुत अनुकूल नहीं वहाँ मोदी का आना और लोगों का उनके लिए उमड़ जाना बड़ी बात है। आज की रैली से मोदी नीतीश-लालू-शरद की त्रिमूर्ति के लिए एक बड़ी चुनौती छोड़ गए हैं। ये चुनौती मधेपुरा ( Madhepura ) की चार या कोशी की तेरह सीटों से ज्यादा इस बात की है कि अब ‘मंडल’ के इलाके में भी ‘कमंडल’ अपनी मौजूदगी का एहसास कराने लगा है।

 मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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