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बिहार चुनाव का दूसरा चरण : भय पर उत्साह की जीत

55 प्रतिशत मतदान के साथ बिहार चुनाव का दूसरा चरण भी पूरा हुआ। छह जिलों – रोहतास, जहानाबाद, कैमूर, अरवल, औरंगाबाद और गया – की जिन 32 सीटों के लिए कल मतदान हुआ उनमें 23 सीटें नक्सल प्रभावित थीं। इसके बावजूद मतदाताओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। लोकतंत्र के पर्व पर कहीं भी भय हावी नहीं हुआ। महिला मतदाताओं ने इस चरण में भी बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 2010 में इन्हीं सीटों पर 52 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार इसमें 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी स्वागत योग्य है।

वोटों के प्रतिशत की बात करें तो कैमूर में सबसे ज्यादा 57.86 प्रतिशत और अरवल में सबसे कम 52 प्रतिशत मत पड़े। वहीं रोहतास में 54.66 प्रतिशत, जहानाबाद में 56.49 प्रतिशत, औरंगाबाद में 52.50 प्रतिशत और गया में 55.54 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

दूसरे चरण में कुल 456 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें 32 महिलाएं शामिल हैं। इस चरण में 86,13,870 मतदाताओं के लिए 9,119 मतदान केन्द्र बनाए गए थे और सुरक्षा की जबरदस्त व्यवस्था की गई थी। शान्तिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए अर्द्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस की कुल 993 कम्पनियां तैनात थीं।

इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (इमामगंज और मखदुमपुर), विधान सभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी (इमामगंज) और भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के तीन सम्भावित उम्मीदवार – पूर्व मंत्री और छह बार विधायक रहे प्रेम कुमार (गया), पूर्व राष्ट्रीय सचिव रामेश्वर चौरसिया (नोखा) और हाल ही में चर्चा में आए और झारखंड में संघ का चेहरा रहे राजेन्द्र सिंह (दिनारा) – शामिल हैं। भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख गोपाल नारायण सिंह (नवीनगर), नीतीश सरकार के सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह (दिनारा), पंचायती राज मंत्री विनोद यादव (शेरघाटी) और मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन (कुटुम्बा) के भविष्य का फैसला भी इसी चरण में होना है। नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे रामधनी सिंह (करगहर) भी इसी चरण में चुनाव मैदान में हैं। बता दें कि जेडीयू से टिकट कटने पर इस बार वो सपा की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं।

हालांकि सभी 32 सीटों पर कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है लेकिन जिस सीट पर सबसे ज्यादा निगाहें लगी हैं वो है ‘सुरक्षित’ सीट इमामगंज। यहाँ दो दिग्गज आमने-सामने हैं। इस सीट के लिए हम के नेता जीतन राम मांझी का मुकाबला जेडीयू के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी से है। चौधरी इस सीट को पाँच बार जीत चुके हैं। दोनों उम्मीदवारों के कद और ‘सांकेतिक महत्व’ को देखते हुए एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। हालांकि मांझी जहानाबाद की मखदुमपुर सीट से भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

महागठबंधन के लिए इस चरण में बहुत कुछ दांव पर लगा है क्योंकि पिछले चुनाव में 32 में से 19 सीटें जेडीयू ने जीती थीं। तब उसकी सहयोगी रही भाजपा के खाते में 10 सीटें गई थीं, जबकि दो सीटें राजद और एक सीट निर्दलीय के हिस्से में गई थी। इस बार महागठबंधन की ओर से जेडीयू और राजद ने 13-13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। शेष 6 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। वहीं एनडीए की ओर से भाजपा के 16, हम के 7, रालोसपा के 6 और लोजपा के तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

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