प्रकृति संरक्षित रहेगी तभी लोग सुरक्षित रहेंगे।- डॉ۔मधेपुरी

सभी विद्यालयों ,महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम में पर्यावरण, गार्बेज मैनेजमेंट सिस्टम और प्रकृति संरक्षण के बाबत सप्ताह में एक घंटी पढ़ाने की व्यवस्था अविलंब शुरू की जाय। तभी यह धरती आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की सुरक्षा कर सकेगी। यदि वर्तमान पीढ़ी वनों की कटाई के प्रति उदासीन दृष्टिकोण अपनाती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत की राजधानी दिल्ली भी बढ़ते तापमान को लेकर बंजर रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगी।

ये बातें विश्व पर्यावरण दिवस- 2024 की पूर्व संध्या पर वृक्षारोपण करने के बाद वृंदावन परिसर में बच्चों को संबोधित करते हुए समाजसेवी-साहित्यकार डॉ۔भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि 27 जुलाई 2015 का वह दिन उन्हें बरबस याद आ जाता है जब डॉ۔एपीजे अब्दुल कलाम ने शिलांग में आईआईएम के छात्रों के बीच “धरती को रहने योग्य कैसे बनाया जाय” विषय पर बोलते हुए अंतिम सांस ली थी। उस महामना ने तब जोर देकर यही कहा था- ‘हमारी भूमि ही हमारा भविष्य है’- जो 2024 में आकर विश्व पर्यावरण दिवस का नारा बन गया है, उसकी थीम बन गई है।

डॉ۔मधेपुरी ने आस-पास के स्कूली बच्चों से यह भी कहा कि अच्छी बात यही है कि पर्यावरण को लेकर लोग अब जागरुक हो रहे हैं। धरती पर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए भिन्न-भिन्न तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। परंतु, विकास के नाम पर तेजी से कट रहे पचासो वर्ष पुराने पेड़ों की भरपाई क्या नए रोपे हुए पेड़ कर पाएंगे ? इस बीच धरती पर रहने वाले लोगों का कितना बुरा हाल होगा۔۔۔۔ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अभी तो कुछ ही जगहों पर तापमान 50 डिग्री पार किया है और एक ही दिन में दर्जनों बच्चे और बड़े-बूढ़े मौत को गले लगा लिए हैं। उन्होंने कहा कि धरती का भविष्य तभी बचेगा जब धरती पर प्रतिदिन पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा। प्रकृति संरक्षित रहेगी तभी लोग सुरक्षित रहेंगे।

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