सेवानिवृत्ति के बाद विदाई का हर पल, हर क्षण अत्यंत भावुक क्षण होता है। सेवानिवृत्ति एक ऐसा अवसर है जहां व्यक्ति को बोलने के लिए शब्दों की कमी पड़ जाती है। उस समय मन मे मिश्रित भावनाएं उमड़ती है। रिटायर होने वाले व्यक्ति को अपने सफ़र का हिस्सा बने व्यक्तियों, चाहे वो शिक्षक, छात्र व सहकर्मी या सफाई कर्मी ही क्यों ना हो, को धन्यवाद देना सुनिश्चित करना चाहिए। ये बातें विशिष्ट अतिथि समाजसेवी-साहित्यकार एवं भौतिक के रिटायर्ड यूनिवर्सिटी प्रोफेसर रहे डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने अपने शिष्य प्राचार्य जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज डॉ.भूपेंद्र प्रसाद की विदाई पर कही।
11 मार्च 2018 से इन्होंने सेवा आरंभ की और 31 जनवरी 2024 को सेवानिवृत हुए। नेत्र विशेषज्ञ के रूप में सर्जन सासाराम, पीएमसीएच एवं कई स्थानों पर कार्यरत रहे। वर्ष 1997 से 2013 तक डीएमसीएच में तथा 2018 से 2021 तक बेतिया में प्रोफेसर रहे एवं आज तक प्रिंसिपल जीएनकेटी मेडिकल कॉलेज में रहकर सेवानिवृत हुए।
इस विदाई समारोह में शहर के लोकप्रिय शिशु रोग चिकित्सक डॉ.अरुण कुमार मंडल, जेएनकेटी मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष डॉ.दिनेश कुमार, डॉ.पीके मधुकर, डॉ.आलोक निरंजन, डॉ.चंचल, डॉ.पूनम कुमारी आदि सहित शहर के गणमान्यों एवं प्राचार्य भूपेंद्र के मित्रों उद्दालक घोष, विश्वनाथ गांगुली उर्फ गोदई, अनिल राज, विनोद कुमार यादव, हरेराम कामती आदि मौजूद रहे। सेवानिवृत प्राचार्य डॉ.भूपेंद्र प्रसाद के साथ बिताए क्षणों को साझा किया। साथ ही मेडिकल कॉलेज के कुछ छात्रों ने भी अपने प्राचार्य की विदाई पर उद्गार व्यक्त करते हुए उनके स्वास्थ्य एवं दीर्घायु होने की कामना की।
डॉ.मधेपुरी ने अपने शिष्य की सेवा निवृत्ति पर उनके शैक्षिक प्रयासों से खुश होकर पाग, अंग वस्त्रम व पुस्तक से सम्मानित करते हुए यही कहा कि डॉ. प्रसाद के प्रयास के कारण ही तत्कालीन डीएम श्याम बिहारी मीणा से अनुरोध करके एक डेड बॉडी छात्रों की प्रायोगिक पढ़ाई हेतु उपलब्ध कराया था।