15 अगस्त, 1942 के हीरो थे सुखासन के सेनानी कमलेश्वरी प्रसाद मंडल- डॉ.मधेपुरी

बम्बई में कांग्रेस का अधिवेशन 8 अगस्त, 1942 को संपन्न हुआ। अधिवेशन के निर्णय के अनुसार महात्मा गांधी के नेतृत्व में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का निश्चय किया गया। गांधी ने देश को ‘करो या मरो’ का मंत्र दिया और उसी दिन से अगस्त क्रांति का सूत्रपात हो गया।

मधेपुरा भी अगस्त क्रांति से अछूता नहीं रहा। 13 अगस्त, 1942 को भूपेंद्र नारायण मंडल (रानीपट्टी), वीरेंद्र नारायण सिंह (सरोपट्टी) तथा देवता प्रसाद सिंह (धबौली) के नेतृत्व में एक विशाल जुलूस मधेपुरा कचहरी पहुंचा। भूपेंद्र नारायण मंडल जन समूह एवं सरकारी पदाधिकारियों के सामने कांग्रेस के कार्यक्रमों को पढ़कर सुनाया।  जुलूस भूपेंद्र नारायण मंडल की अगुवाई में थाना और रजिस्ट्री ऑफिस भी गया, जहां तिरंगा लहराया गया।

वहीं 14 अगस्त, 1942 को ब्रिटिश पुलिस ने मधेपुरा के स्वराज ऑफिस को घेर कर अपना अधिकार जमा लिया, परंतु  15 अगस्त, 1942 को मनहरा-सुखासन के क्रांतिवीर कमलेश्वरी प्रसाद मंडल एवं जगबनी के प्रेम नारायण मिश्र के नेतृत्व में हजारों-हजार सत्याग्रहियों के साथ स्वराज ऑफिस पर धावा बोलकर ब्रिटिश पुलिस को खदेड़ दिया और भवन पर पुनः अपना कब्जा जमा लिया। इसी दिन मधेपुरा में कमलेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में एक विशाल सभा हुई जिसमें यह घोषणा कर दी गई कि अंग्रेजी राज समाप्त हो गया और राष्ट्रीय सरकार की स्थापना हो गई। संपूर्ण अगस्त महीने भर आंदोलनकारियों द्वारा अगस्त क्रांति की धार को तेज किया जाता रहा। ऐसे ही मनहरा-सुखासन के तीन क्रांतिवीरों के जीवन वृत्त से रू-ब-रू कराने हेतु जल्द ही समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी की एक पुस्तक- “मनहरा-सुखासन की त्रिमूर्ति-  शहीद चुल्हाय, कमलेश्वरी और कीर्ति” आपके हाथों में होगी।

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