समाहरणालय मधेपुरा के जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा फरोग-ए-उर्दू सेमिनार का आयोजन स्थानीय भूपेंद्र स्मृति कला भवन में रविवार को आयोजित किया गया। इस सेमिनार का उद्घाटन अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी सह उर्दू भाषा कोषांग प्रभारी श्री चंदन कुमार, समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ )भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, डॉ.सैयद परवेज अहमद, मोहम्मद शौकत अली, प्राचार्य डॉ.सुरेश भूषण आदि ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर भाषण प्रतियोगिता में इंटर एवं ग्रेजुएशन में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को सूचीबद्ध कर समाजसेवी डॉ.मधेपुरी, डॉ.परवेज, मोहम्मद शौकत अली एवं उर्दू भाषा कोषांग प्रभारी श्री चंदन कुमार द्वारा प्रमाण पत्र के साथ-सथ मोमेंटो भी प्रदान किया गया। अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी ने कहा कि इन सभी सफल प्रतिभागियों को सरकार द्वारा क्रमशः तृतीय, द्वितीय व प्रथम स्थान प्राप्त करने वालों को देय राशि उनके खातों में भेज दी जाएगी।
सेमिनार को डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, डॉ.सैयद परवेज अहमद, मो.शौकत अली, शकील रजा, फिरोज जख्मी, वसीमुल्लाह, अनवारूल हक, मुफ्तीअली हसन आदि ने संबोधित किया।
डॉ.मधेपुरी ने गांधीयन मिसाइल मैन डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम को संदर्भित करते हुए कहा कि वे महान इंसान थे। उन्होंने कहा कि इंसान का मजहब होता है इंसान होना। ना कि हिंदू होना और ना मुसलमान होना। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि हिंदी-उर्दू एक ही वतन की पैदावार है। उर्दू को फैलाव दें। इसे जोड़ने की भाषा बनाएं।
अंत में अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी श्री चंदन कुमार ने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए बड़ों से कमियों को नजरअंदाज करने की गुजारिश की। उर्दू ट्रांसलेटर मोहम्मद इजहार ने सात घंटे चले उर्दू सेमिनार में दो-दो बार लंच पैकेट दिया एवं चाय-पानी की भरपूर व्यवस्था भी की। कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद मेहरू द्वारा एवं समय की पाबंदी मोहम्मद शौकत अली द्वारा किया जाता रहा। सेमिनार में कमियों को दूर करने की बुनियादी बातों पर भी चर्चा की गई।