Dr.Ravi Jyanti

मधेपुरा और कोसी की धरोहर हैं डॉ. रवि: भूपेन्द्र मधेपुरी

आज मधेपुरा के कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अम्बिका सभागार में कौशिकी के दिवंगत संरक्षक, सुप्रसिद्ध साहित्यकार, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति तथा मधेपुरा के पूर्व सांसद (लोकसभा एवं राज्यसभा) डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि का 81वां जयंती समारोह श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता टीएमबीयू के पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. कौशल किशोर मंडल ने की, जबकि बीएनएमयू के पूर्व कुलसचि प्रो. शचीन्द्र समारोह के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. मणिभूषण वर्मा मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद रहे। समाजसेवी-साहित्कार एवं कौशिकी के सचिव डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी की विशिष्ट उपस्थिति व मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में गजलकार श्री सियाराम यादव मयंक, श्री श्यामल कुमार सुमित्र, श्री सुधांशु रंजन, श्री बैद्यनाथ रजक सहित बड़ी संख्या में मधेपुरा के साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। इस मौके पर डॉ. रवि के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा कौशिकी के संस्थापक पं. युगल शास्त्री प्रेम, पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ एवं शिवनेश्वरी प्रसाद को भी नमन किया गया। साथ ही तुलसी पब्लिक स्कूल की तीन साहित्यानुरागी छात्राओं – माही यादव (वर्ग-3), मिस्टी कुमारी (वर्ग-2) तथा अनन्या कुमारी (वर्ग-1) को डॉ. रवि की पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित भी किया गया।

समारोह के अध्यक्ष डॉ. कौशल किशोर मंडल ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. रवि जैसे बहुमुखी प्रतिभा के लोग युगों में पैदा होते हैं। उन्होंने शिक्षा, साहित्य, राजनीति और समाजसेवा के क्षेत्र में एक साथ काम किया और हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ी। वहीं, मुख्य अतिथि प्रो. शचीन्द्र ने कहा कि डॉ. रवि को मैंने कई दशकों तक बहुत निकट से देखा और अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि विद्वता और सहजता का ऐसा मणिकांचन संयोग बहुत कम देखने को मिलता है। सरस्वती उनकी जिह्वा पर विराजती थी और कविता रोम-रोम में बसती थी।

समाजसेवी-साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि डॉ. रवि ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से मधेपुरा की कई पीढ़िय़ों को प्रभावित किया। विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में अपने धारदार संबोधनों से उन्होंने सबका ध्यान खींचा और जनहित के अनगिनत मुद्दे उठाए। वहीं, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति के रूप में उन्होंने अविस्मरणीय योगदान दिया। साहित्यकार तो वे लाजवाब थे ही। वे नि:संदेह मधेपुरा और कोसी की धरोहर हैं।

मुख्य वक्ता प्रो. मणिभूषण वर्मा ने कहा कि डॉ. रवि का शिष्य होना मेरे लिए गौरव की बात है। मेरा शोधकार्य उन्हीं पर है। अपने शोध के दौरान मैं उन्हें जितने निकट से देखता, उनकी रचना और उनके व्यक्तित्व के उतने ही कोण सामने आते। उन पर एक नहीं, कई शोध होने चाहिएं।

वहीं, श्री सुधांशु रंजन सहित अन्य वक्ताओं ने भी डॉ. रवि को भावुक होकर याद किया। कौशिकी के उपसचिव श्री श्यामल कुमार सुमित्र ने सभी वक्ताओं एवं आगंतुकों के प्रति धन्यवादज्ञापन किया। इस मौके पर बिनोद यादव, संजय भारती, पीहू कुमारी, रीतेश, प्रीति कुमारी, सुप्रिया कुमारी, आयुष राज, मनोज कुमार, अर्जुन कुमार, विकास कुमार, सौरभ कुमार आदि ने भी उपस्थिति दर्ज की।

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