Dr.B.N.Yadav Madhepuri

संपूर्णता में प्रकृति की उपासना है यह छठ महापर्व- डॉ.मधेपुरी

प्रकृति से जुड़ने की सीख देने वाले लोक आस्था का महापर्व छठ। इस महापर्व में दूरदराज से लोग अपने-अपने घर पहुंचते हैं। इस पर्व मेंं रात और सुबह के समय तापमान में हल्की गिरावट के कारण ठंड महसूस होने लगती है।

छठ पर्व के दौरान छोटे-बड़े सभी शहरों में बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक लग जाती है। कई जगहों पर लोकगीत बनाए जाते हैं। प्रत्येक घाट पर सफाई सुरक्षा के साथ-साथ रोशनी की व्यवस्था रहती है। कहीं-कहीं तो पाटाखों पर रोक लगा दी जाती है ताकि पर्यावरण प्रदूषित ना हो।

इस बाबत पूछे जाने पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि छठ महापर्व में दिखता है भारत का अपूर्व लोक। यह महापर्व सूर्य की विराट प्रकाश में चेतना के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है। उत्सव के केंद्र में कठिन तपस्या है। यह पर्व संपूर्णता में प्रकृति की उपासना है, आराधना है। हमारी संस्कृति है कि हम केवल उगते सूर्य को ही नहीं बल्कि डूबते सूरज को भी नमन करते हैं। विदेशों तक फैली है यह देश की संस्कृति। यह संपूर्ण समाजवादी पर्व है। इस महापर्व में आकाश में लगे नारियल के फल से लेकर धरती के नीचे फलने वाले आदि हल्दी, अलुुहा, सुथनी इत्यादि सब की पूजा होती है। यही एक पर्व है जिसमें ना तो कोई पंडित होता है और ना कोई पुरोहित। सभी जातियों एवं धर्म के लोग इस महापर्व की आरंभ से लेकर समापन तक सर्वोच्च स्वच्छता के साथ लगे रहते हैं।

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